नजीब की मां CBI की क्लोज़र रिपोर्ट को चुनौती दे सकती हैं
2016 में लापता हुए जेएनयू के छात्र नजीब अहमद की मां फातिमा नफ़ीस ने अपने बेटे की गुमशुदगी के मामले में CBI और दिल्ली पुलिस पर ‘लापरवाही’ का आरोप लगाया है। उन्होंने कहा है कि अगर इंसाफ़ के लिए उन्हें सुप्रीम कोर्ट का दरवाज़ा खटखटाना पड़े, तो वो पीछे नहीं हटेंगी। एक फ़ेसबुक पोस्ट में उन्होंने लिखा कि वो आख़िरी सांस तक लड़ेंगी।
बता दें कि दिल्ली की एक अदालत ने सोमवार को CBI को यह केस बंद करने की इजाज़त दे दी थी। 27 वर्षीय नजीब नई दिल्ली स्थित जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय में एमएससी बायोटेक्नोलॉजी के पहले साल के छात्र थे, जब वह अक्टूबर 2016 में अपने हॉस्टल से अचानक लापता हो गए थे।
ETV भारत की एक रिपोर्ट के मुताबिक, फातिमा नफ़ीस ने कहा कि यह लड़ाई सिर्फ उनके बेटे के लिए नहीं है, बल्कि हर उस मां के लिए है जो अपने बच्चे के लिए इंसाफ़ चाहती है। उन्होंने कहा, “देश की सबसे बड़ी जांच एजेंसी और पूरा न्यायिक सिस्टम भी यह नहीं बता सका कि मेरा बेटा कहां है।” उन्होंने आगे कहा, “सालों तक मेरे बेटे के बारे में झूठ फैलाया गया। बाद में दिल्ली हाईकोर्ट ने ऐसे सभी डिजिटल और सोशल मीडिया कंटेंट को हटाने का आदेश दिया।”
फातिमा नफ़ीस, जो इस मामले में निष्पक्ष जांच की मांग को लेकर जेएनयू छात्रों के साथ शुरू से प्रदर्शन में शामिल रही हैं, उन्होंने उन सभी लोगों की सराहना की जो उनके साथ खड़े रहे।
सुप्रीम कोर्ट के वकील डॉ. एपी सिंह के अनुसार, नजीब की मां CBI की क्लोज़र रिपोर्ट को चुनौती देने के लिए क़ानूनी रास्ते अपना सकती हैं। उन्होंने कहा, “फातिमा नफ़ीस एक विरोध याचिका के माध्यम से डिस्ट्रिक्ट सेशंस कोर्ट जा सकती हैं, दिल्ली हाईकोर्ट में रिट याचिका दायर कर सकती हैं या सीधे सुप्रीम कोर्ट भी जा सकती हैं।” डॉ. सिंह ने आगे कहा कि CBI आठ सालों में नजीब का कोई सुराग नहीं ढूंढ सकी, ना ही उसके जीवित या मृत होने का कोई प्रमाण।
गौरतलब है कि नजीब अहमद 15 अक्टूबर 2016 की रात जेएनयू के महीमांडवी हॉस्टल से उस वक्त ग़ायब हो गए थे जब उनका कथित तौर पर अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (ABVP) के कुछ छात्रों से झगड़ा हुआ था। पहले इस मामले की जांच दिल्ली पुलिस ने की थी, बाद में यह केस CBI को सौंपा गया। CBI ने अक्टूबर 2018 में इस केस को बंद कर दिया था क्योंकि नजीब की तलाश के सभी प्रयास विफल रहे थे।

