पहले किसानों को रोकने के लिए कीलें गाड़ दी गईं अब गाड़ी चलवा दी
उत्तर प्रदेश के लखीमपुर खीरी जिले में राज्य के डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य और केंद्रीय गृह राज्यमंत्री अजय मिश्रा टेनी के खिलाफ किसानों के प्रदर्शन में हिंसा और आगजनी होने से कई किसान जख्मी हुए हैं. जबकि आठ किसानों की मौत भी हुई है
किसान संगठनों का कहना है कि केंद्रीय मंत्री के काफिले में शामिल गाड़ी ने दो किसानों को कुचल दिया और जिस गाडी से किसान को कुचला गया उस पर मंत्री का बेटा और रिश्तेदार बैठे हुए थे. किसानों को रौंदकर मारने का आरोप स्थानीय भाजपा सांसद व मोदी सरकार में मंत्री अजय मिश्रा के बेटे पर लग रहा है।
एनडीटीवी पत्रकार रवीश कुमार ने भी इस घटना पर कुछ ट्वीट करते हुए मंत्री की भाषा और गाड़ी चढ़ा देने पर सवाल खड़े किए हैं।
रवीश कुमार ने पहले ट्वीट में लिखा है कि, पहले किसानों के रास्ते में कीलें गाड़ दी गईं और अब किसानों पर गाड़ी चलवा दी गई। मामले को बराबर करने के लिए गोदी मीडिया नाम का रोड रोलर चलवा दिया जाएगा। विपक्ष को रोकने का फ़ैसला भी आता ही होगा। किसानों को निकालने की बात कर मंत्री कैसा देश बनाना चाहते हैं?
पहले किसानों के रास्ते में कीलें गाड़ दी गईं और अब किसानों पर गाड़ी चलवा दी गई। मामले को बराबर करने के लिए गोदी मीडिया नाम का रोड रोलर चलवा दिया जाएगा। विपक्ष को रोकने का फ़ैसला भी आता ही होगा। किसानों को निकालने की बात कर मंत्री कैसा देश बनाना चाहते हैं?
— ravish kumar (@ravishndtv) October 3, 2021
उन्होंने अपने दूसरे ट्वीट में लिखा: “लोकतंत्र की माँ भारत में किस तंत्र के प्रभाव में किसानों पर गाड़ी चलाई जा रही है? गोदी मीडिया की हिंसक भाषा की गाड़ी रोज़ किसानों को कुचलती है। सर फोड़ने की भाषा अफ़सर की और देख लेने की भाषा मंत्री की। हिंसा सोच से भाषा में और भाषा से कार्य में आ जाती है। हिंसा की भाषा से बचिए।”
लोकतंत्र की माँ भारत में किस तंत्र के प्रभाव में किसानों पर गाड़ी चलाई जा रही है? गोदी मीडिया की हिंसक भाषा की गाड़ी रोज़ किसानों को कुचलती है। सर फोड़ने की भाषा अफ़सर की और देख लेने की भाषा मंत्री की। हिंसा सोच से भाषा में और भाषा से कार्य में आ जाती है। हिंसा की भाषा से बचिए।
— ravish kumar (@ravishndtv) October 3, 2021
ग़ौर तलब है कि,किसानों के ऊपर इस तरह की बर्बर कार्रवाई की ये कोई पहली घटना नहीं है बल्कि इससे पहले हरियाणा में किसानों पर बर्बर कार्रवाई हो चुकी है। पिछले दस महीनों से किसान देशभर में धरना दे रहा है।