मुस्लिम पुलिस अधिकारी दाढ़ी रख सकते हैं: मद्रास हाईकोर्ट का आदेश
चेन्नई: मद्रास हाईकोर्ट ने आज एक पुलिस कांस्टेबल के पक्ष में फैसला सुनाया है, जिन्हें दाढ़ी रखने पर सजा दी गई थी। इस संबंध में मद्रास हाईकोर्ट की न्यायमूर्ति एल विक्टोरिया गोरी की बेंच ने यह संदर्भ देते हुए कि भारत विभिन्न धर्मों और परंपराओं की भूमि है, पुलिस विभाग के सख्त अनुशासन के लिए चेतावनी देने के फैसले को रोकते हुए कहा कि इसका हरगिज यह मतलब नहीं कि अल्पसंख्यक वर्ग से संबंधित किसी भी व्यक्ति को दाढ़ी रखने के लिए सजा दी जाएगी और मुस्लिम पुलिस अधिकारी दाढ़ी रख सकते हैं।
गौरतलब है कि अदालत ने जी अब्दुल कादिर, जिन्हें 2019 में ग्रेड एक पुलिस कांस्टेबल के पद पर पदोन्नत किया गया था, की याचिका पर सुनवाई करते हुए यह बातें कही हैं। 31 दिन की छुट्टी खत्म होने के बाद नौकरी ज्वाइन न करने और मद्रास पुलिस गजट के प्रावधान के खिलाफ दाढ़ी रखने पर जांच शुरू हुई थी। जांच अधिकारी ने आरोप सिद्ध होने से पहले उन्हें निलंबित कर दिया था और डिप्टी कमिश्नर ऑफ पुलिस (आर्म्ड रिजर्व) ने समग्र प्रभाव के साथ उनकी वेतन वृद्धि को रोकने का फैसला सुनाया था।
अपील पर कमिश्नर ऑफ पुलिस ने वेतन वृद्धि पर रोक लगाने के आदेश में संशोधन कर इसे 2 साल किया था। बाद में अब्राहिम ने इस फैसले के खिलाफ अदालत का रुख किया था। अब्राहिम का कहना था कि “आपत्तिजनक आदेश बिना सोचे समझे और स्थायी आदेशों पर पुनर्विचार किए बिना जारी किए गए थे। उन्होंने कहा था कि प्राधिकरण को यह समझना चाहिए कि उनका संबंध मुस्लिम समुदाय से है जहां मरते दम तक दाढ़ी रखना धार्मिक विश्वास है।
प्राधिकरण ने सजा के आदेशों का बचाव करते हुए कहा था कि अब्राहिम हमेशा दूसरों के लिए परेशानी का कारण बनता है और पहले भी उनकी प्रकृति के कारण उन्हें अनुशासनात्मक कार्रवाई के तहत सजा दी गई थी। उन्होंने दावा किया कि यह आदेश सोच-समझकर जारी किए गए थे। अदालत ने संकेत दिया कि मद्रास पुलिस गजट को जारी किए गए कार्यालय ज्ञापन के अनुसार अधिकारियों के लिए दाढ़ी रखना स्वीकार्य नहीं है, लेकिन मुस्लिम पुलिस अधिकारी जीवन भर दाढ़ी रखने के हकदार हैं। कोर्ट ने संकेत दिया कि अब्राहिम को छुट्टी से लौटने के बाद संक्रमण से पीड़ित होने के लिए चिकित्सा अवकाश देना चाहिए।