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मुस्लिम बुद्धिजीवियों ने भागवत को पत्र लिखा

मुस्लिम बुद्धिजीवियों ने भागवत को पत्र लिखा

संघ ने पिछले दिनों मुस्लिम समुदाय के कुछ बड़े चेहरों को साथ लेकर एक मीटिंग की थी। इस मीटिंग में पूर्व चुनाव आयुक्त एसवाई कुरैशी, दिल्ली के पूर्व उपराज्यपाल नजीब जंग तथा पत्रकार और नेता शाहिद सिद्दकी शामिल थे। राष्ट्रीय स्वंय सेवक संघ और बीजेपी मुसलमानों तक अपनी पहुंच बनाना चाहते हैं। लेकिन उसके पुराने इतिहास और वर्तमान की घटनाओं को देखते हुए मुस्लिम समुदाय उस पर विश्वास करने को तैयार नहीं है।

इन मुलाकातों के बाद भी संघ और बीजेपी की तरफ से मुसलमानों को निशाना बनाए जाने की घटनाओं में कमी नहीं आई है। इसके विरोध में और इन पांच नेताओं ने अब संघ प्रमुख मोहन भागवत को एक पत्र लिखा है। अपने पत्र में इन लोगों ने मुसलमानों के खिलाफ हो रही घटनाओं पर आपत्ति जताई है। और मोहन से आग्रह किया है कि वे इसके खिलाफ बोलें। भागवत के अलावा इन्होंने केंद्र सरकार और राज्य सरकारों से भी इस तरह की घटनाओं पर कड़ी कार्रवाई करें।

संघ प्रमुख और इन पांच लोगों से मुलाकात का सिलसिला पिछले साल अगस्त में शुरु हुआ था , उसके बाद इनकी दूसरी मुलाकात 14 जनवरी को नजीब जंग के घर पर हुई। भागवत के साथ मुलाकातों में मुस्लिम समुदाय के इन प्रमुख सदस्यों ने हेट स्पीच,मॉब लिंचिंग, औरबुलडोज़र,और न्यायिक मुद्दे को प्रमुखता से रखा।

मुस्लिम समुदाय की दिकक्तों को सुनने के बाद भागवत ने संघ के नेताओं से बातचीत के इस सिलसिले को जारी रखने की इच्छा जताई थी। इन मीटिंग के जरिए ही संघ की तरफ से इस बात का अंदाजा लगाने की कोशिश की जा रही है कि काशी-मथुरा के मंदिरों के बगल में बनी मस्जिदों को मंदिर माने जाने को लेकर मुस्लिम समुदाय का रुख क्या रहता है। महाराष्ट्र में की हिंदू जन आक्रोश मोर्चा के बैनर तले की जा रही रैलियों, जिनमें सुप्रीम कोर्ट के आदेश के उलंल्घन के बाद भी मुस्लिम समुदाय के खिलाफ नफरत भरे भाषण दिये गये और उनके आर्थिक बहिष्कार का आह्वाहन किया गया था।

मुस्लिम समुदाय के इन नुमांइदों ने इससे परेशान होकर भागवत से मिलने की कोशिश भी की लेकिन मुलाकात न हो पाने के कारण उन्होंने भागवत को पत्र लिखकर अपनी समस्याओँ से अवगत कराया। मुस्लिम समुदाय़ के इन नुमाइंदों ने संघ से यह भी अपील की कि वह बातचीत का दायरा बड़ा करे जिससे की और अधिक लोगों तक पहुंच सके। बातचीत के इस सिलसिले में जमात-ए-इस्लामी हिंद तथा जमीअत-उल्मा-ए-हिंद जैसे संगठनों को भी शामिल किया जाए।

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