सुरंग में फंसे मजदूरों को बचाने वाले मुन्ना क़ुरैशी बने “रियल हीरो”
उत्तरकाशी में निर्माणाधीन सिल्क्यारा सुरंग में फंसे सभी 41 मजदूरों को 17 दिन की मशक्कत के बाद सुरक्षित बचा लिया गया। पूरे देश और खासकर प्रभावित श्रमिकों के परिवारों में खुशी का माहौल है। इस अभियान के लिए जहां एनडीआरएफ और उत्तराखंड प्रशासन की तारीफ हो रही है, वहीं मजदूरों को बचाने की मुहिम में विशेष भूमिका निभाने वाले मुन्ना क़ुरैशी नाम के युवक की भूमिका को उत्कृष्ट और अद्भुत बताया जा रहा है।
मुन्ना क़ुरैशी की चर्चा पूरे शहर में है। मुन्ना क़ुरैशी उस रेट माइनिंग टीम का हिस्सा थे जिसे अंतिम समय में माइनिंग की जिम्मेदारी सौंपी गई थी। टीम का नेतृत्व वकील हसन ने किया जबकि टीम में मुन्ना क़ुरैशी, फिरोज क़ुरैशी, नासिर खान, मोनू कुमार, जितिन, देवेंद्र कुमार, अरशद अंसारी, राशिद अंसारी, नसीम मलिक, अंकुर और सौरभ शामिल थे। मुन्ना क़ुरैशी पहले व्यक्ति थे जो टनल के अंदर फंसे लोगों के पास पहुंचे और मज़दूरों ने उनका स्वागत किया।
उन्होंने बताया कि मेरे पहुंचते ही मज़दूरों ने मुझे चूमा, ख़ुशी से चिल्लाये और मुझे धन्यवाद दिया। उनतीस वर्षीय मुन्ना क़ुरैशी दिल्ली की एक कंपनी में रेट होल माइनर के रूप में काम करते हैं। यह कंपनी सीवर और पानी के पाइप की सफाई भी करती है। वह उन एक दर्जन खनिकों में से एक थे जिन्हें अमेरिकी अभियान विफल होने के बाद फंसे हुए मजदूरों तक पहुंचने के लिए नीचे लाया गया था।
मुन्ना क़ुरैशी ने मीडिया से बात करते हुए कहा कि जब मैंने आखिरी चट्टान हटाई और उन्हें (मजदूरों को) देखा तो मेरी खुशी का ठिकाना नहीं रहा और उसके बाद मैं दूसरी तरफ चला गया और उन मजदूरों ने मुझे गले लगा लिया, तालियां बजाईं और मुझे धन्यवाद दिया। मुन्ना क़ुरैशी ने कहा, मैं अपनी खुशी शब्दों में बयां नहीं कर सकता, मैंने यह काम अपने साथी कर्मचारियों के लिए किया है। उन्होंने मुझे जो सम्मान दिया, उसे मैं कभी नहीं भूल सकता।’
बता दें कि इस अभियान की निगरानी करने वाली सरकारी संस्था (एनडीआरएफ) के सदस्य और सेवानिवृत्त लेफ्टिनेंट जनरल सैयद अत्ता हसनैन ने कहा कि रेट माइनर ने 24 घंटे से भी कम समय में दस मीटर का रास्ता बना कर कमाल कर दिया क्योंकि यह कई दिनों का काम था लेकिन इन खनिकों ने जो जज्बा दिखाया वह अद्भुत है।