Site icon ISCPress

7 करोड़ से ज़्यादा किसानों के लिए बहुउद्देशीय डिजिटल पहचान पत्र जारी 

7 करोड़ से ज़्यादा किसानों के लिए बहुउद्देशीय डिजिटल पहचान पत्र जारी 

7 करोड़ से ज़्यादा किसानों को बहुउद्देश्यीय डिजिटल पहचान पत्र जारी किए गए हैं। सरकार के डिजिटल कृषि मिशन (एग्री-स्टैक) के तहत ये “किसान पहचान पत्र” जारी किए गए हैं।सरकार के डिजिटल एग्रीकल्चर मिशन (AgriStack) के तहत अब तीन नए राज्य, पंजाब, हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड शामिल हो गए हैं। ये राज्य ज़मीन के रिकॉर्ड से जुड़ा “यूनिक किसान पहचान पत्र” (Kisan ID) जारी करेंगे। हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड ने इस पर काम भी शुरू कर दिया है। अब तक कुल 16 राज्यों में 7 करोड़ 40 लाख से ज़्यादा किसान पहचान पत्र जारी किए जा चुके हैं।

किसानों के डिजिटल रजिस्ट्रेशन बनाने की यह पहल सरकार के डिजिटल कृषि मिशन का हिस्सा है। इसके ज़रिए किसानों को सरकारी योजनाओं के फ़ायदों तक सीधे पहुँच मिलेगी। कृषि मंत्रालय का लक्ष्य वित्तीय वर्ष 2027 तक 11 करोड़ डिजिटल IDs जारी करने का है, ताकि नीति निर्धारण के लिए किसानों की जनसांख्यिकीय प्रोफ़ाइल, ज़मीन के स्वामित्व और फसल उत्पादन के तरीकों की सही जानकारी मिल सके।

अनुमान है कि भारत में लगभग 14 करोड़ किसान हैं, जिनमें से करीब 35 से 40 प्रतिशत किसानों के पास अपनी ज़मीन नहीं है और वे बटाईदारी या किराए की खेती करते हैं। एक अधिकारी के अनुसार, इन यूनिक किसान IDs से कृषि ऋण और फसल बीमा की मंज़ूरी प्रक्रिया तेज़ होगी, और संभावना है कि पीएम-किसान योजना की नकद सहायता भी इन्हीं IDs से जुड़ी होगी। उन्होंने यह भी बताया कि ज़्यादातर राज्यों ने अपने भूमि रिकॉर्ड को डिजिटाइज़ कर लिया है।

वित्त वर्ष 2025-26 में, एग्रीस्टैक के तहत सरकार ने किसानों की रजिस्ट्री तैयार करने (जिसमें कानूनी वारिस व्यवस्था भी शामिल है) के लिए 4,000 करोड़ रुपये, और डिजिटल फसल सर्वे के लिए 2,000 करोड़ रुपये का बजट निर्धारित किया है। डिजिटल फसल सर्वे का मकसद राज्यों को डिजिटल टूल्स अपनाने के लिए प्रोत्साहित करना है। इस पहल के तहत जियो-रेफरेंस्ड गांवों के नक्शे, फसल पंजीकरण, और किसान IDs का डेटाबेस तैयार किया जा रहा है। अब तक 30 राज्यों ने इन डिजिटल टूल्स के निर्माण पर सहमति दी है।

एक अधिकारी के मुताबिक, इस योजना को देशभर में लागू करने के लिए और अधिक राज्यों को शामिल करना आवश्यक है। इसी दौरान, कृषि मंत्रालय एक नया डिजिटल प्लेटफ़ॉर्म शुरू करने जा रहा है —“वर्चुअली इंटीग्रेटेड सिस्टम टू एक्सेस एग्रीकल्चरल रिसोर्सेज” — जिसके ज़रिए देश के किसानों को वर्चुअल क्लासरूम तक पहुँच मिलेगी, जहां वे बेहतर खेती के तरीकों के बारे में सीख सकेंगे। यह प्लेटफ़ॉर्म किसानों को क्रेडिट, बीमा और डिजिटल मार्केटप्लेस जैसी सुविधाओं से भी जोड़ेगा।

यह पहल कृषि क्षेत्र में डिजिटल पब्लिक इंफ्रास्ट्रक्चर (DPI) को मज़बूत बनाएगी। कृषि विस्तार प्रणाली के इस डिजिटल रूप का उद्देश्य इसकी पहुँच बढ़ाना और हर किसान को फसल उत्पादन, विपणन, मूल्य श्रृंखला प्रबंधन, और जलवायु परिवर्तन के अनुकूल खेती जैसे विषयों पर उच्च-स्तरीय सेवाएँ प्रदान करना है।

Exit mobile version