महिलाओं को सशक्त बनाने के लिए अभी बहुत कुछ किया जाना बाकी है: शबाना आज़मी

महिलाओं को सशक्त बनाने के लिए अभी बहुत कुछ किया जाना बाकी है: शबाना आज़मी

प्रसिद्ध अभिनेत्री शबाना आज़मी ने कहा है कि भारत जैसे विविधता वाले देश में महिलाओं के सशक्तिकरण के संदर्भ में काफी प्रगति हुई है, लेकिन कुछ क्षेत्रों में अभी भी सुधार की आवश्यकता है। आज़मी, जिन्होंने अपने 50 साल के फिल्मी करियर में कई विविध भूमिकाएँ निभाई हैं, शुक्रवार रात आईफा (इंटरनेशनल इंडियन फिल्म एकेडमी अवॉर्ड्स) उत्सव के ग्रीन कार्पेट पर महिलाओं की सुरक्षा और सशक्तिकरण के मुद्दों पर बात कर रही थीं।

महिलाओं की यात्रा को बताया ‘सदियों पुरानी
उन्होंने महिलाओं की सामाजिक और सांस्कृतिक यात्रा को “सदियों पुरानी” बताते हुए कहा कि इस लंबी यात्रा के बावजूद महिलाओं के साथ होने वाले अन्याय और असमानताओं को पूरी तरह समाप्त नहीं किया जा सका है। शबाना आज़मी ने विशेष रूप से इस बात पर जोर दिया कि भारत एक अत्यंत विविधतापूर्ण देश है, जहां कई क्षेत्रों में महिलाओं के सशक्तिकरण को लेकर विरोधाभास मौजूद हैं। उन्होंने कहा, “कुछ क्षेत्रों में काफी प्रगति हुई है, लेकिन कुछ क्षेत्रों में हमें अभी भी बहुत काम करना है। भारत विविधताओं से भरा हुआ है, और इसी कारण महिलाओं के सशक्तिकरण के मामले में एकरूपता की कमी है।”

कोलकाता घटना और हीमा समिति की रिपोर्ट का उल्लेख
अभिनेत्री शबाना आज़मी ने हाल ही में कोलकाता में एक महिला डॉक्टर के कथित बलात्कार और हत्या की घटना पर चिंता जताई। उन्होंने इसे महिलाओं की सुरक्षा के लिए गंभीर चुनौती के रूप में देखा और कहा कि ऐसी घटनाएँ समाज में गहराई तक मौजूद लैंगिक असमानता और महिलाओं के प्रति होने वाले अपराधों की जड़ को उजागर करती हैं। उन्होंने मलयालम सिनेमा में महिलाओं के शोषण के बारे में आई हीमा समिति की रिपोर्ट का भी जिक्र किया, जिसमें फिल्म इंडस्ट्री में महिलाओं के साथ दुर्व्यवहार और असमान वेतन जैसी समस्याओं पर प्रकाश डाला गया है।

महिलाओं की सुरक्षा के लिए ठोस कदम उठाने की जरूरत
शबाना आज़मी ने कहा कि भारत में महिलाओं की सुरक्षा और सम्मान को सुनिश्चित करने के लिए ठोस कदम उठाने की आवश्यकता है। उन्होंने सुझाव दिया कि केवल कानूनों को सख्त बनाना पर्याप्त नहीं होगा, बल्कि समाज में जागरूकता और मानसिकता में बदलाव लाने की भी जरूरत है। उन्होंने कहा, “हम महिलाओं के लिए एक सुरक्षित समाज तभी बना सकते हैं जब हम व्यक्तिगत और संस्थागत दोनों स्तरों पर बदलाव लाएँ।”

महिलाओं के सशक्तिकरण के लिए समान अवसरों की मांग
महिलाओं के सशक्तिकरण के मुद्दे पर बात करते हुए शबाना आज़मी ने यह भी कहा कि महिलाओं को समान अवसर, शिक्षा और स्वास्थ्य सेवाओं तक समान पहुंच मिलनी चाहिए। उन्होंने महिलाओं को राजनीति, शिक्षा, विज्ञान, कला और समाज के सभी क्षेत्रों में नेतृत्व देने की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने यह भी कहा कि सशक्तिकरण का अर्थ केवल आर्थिक या राजनीतिक ताकत नहीं है, बल्कि यह उनके आत्मसम्मान और स्वाभिमान से भी जुड़ा हुआ है।

शबाना आज़मी का यह बयान ऐसे समय में आया है जब भारत में महिलाओं की सुरक्षा और सशक्तिकरण के मुद्दे पर व्यापक चर्चा हो रही है।

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