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अपने पिछले बयान से पलटे मोनू मानेसर और बिट्टू बजरंगी

अपने पिछले बयान से पलटे मोनू मानेसर और बिट्टू बजरंगी

नूह हिंसा के लिए मोनू मानेसर और बिट्टू बजरंगी को प्रमुख रूप से ज़िम्मेदार मन जा रहा है लेकिन केंद्रीय मंत्री और भाजपा सांसद के बयान के बाद अब यह दोनों बैकफ़ुट पर नज़र आ रहे हैं, और अपने पिछले बयान से पलट रहे हैं।

31 जुलाई को नूंह में विहिप और बजरंग दल ने जलाभिषेक यात्रा निकाली थी। जिसके बाद वहां बड़े पैमाने पर हिंसा हुई। नूंह की हिंसा की आग गुड़गाव, फरीदाबाद और पलवल तक फैली। इस हिंसा में कुल मिलाकर 6 लोग मारे गए।

गुड़गांव के भाजपा सांसद राव इंद्रजीत सिंह, जो केंद्रीय राज्य मंत्री भी हैं, ने इंडियन एक्सप्रेस को दिए गए इंटरव्यू में पूछा था कि हिंदू रैली में भाग लेने वाले तलवारें क्यों लेकर चल रहे थे।

किसने हथियार दिए उनको जुलूस में ले जाने के लिए? कोई तलवार लेके जाता है जुलूस में? लाठी-डंडे लेके जाता है? जुलूस के लिए उन्हें हथियार किसने दिए? यह गलत है। इस तरफ से भी उकसावे की कार्रवाई हुई। मैं यह नहीं कह रहा हूं कि दूसरी तरफ से कोई उकसावे की कार्रवाई नहीं हुई।”

केंद्रीय राज्यमंत्री के बयान के बाद अब मोनू मानेसर और बिट्टू बजरंगी अब अपने पिछले बयानों से पलट रहे हैं। मोनू मानेसर पहले ही कह चुका है कि वो नूंह में 31 जुलाई को मौजूद नहीं था। लेकिन अब एक और गौरक्षक बिट्टू बजरंगी का बयान आया है, जिसमें वो कह रहा है कि हम 31 जुलाई को नूंह की जलाभिषेक यात्रा में तलवार जरूर ले गए थे लेकिन वो तलवारें पूजा के लिए थीं।

फरीदाबाद के गौरक्षक बिट्टू बजरंगी ने इंडिया टुडे से एक इंटरव्यू में कहा कि रैली में कुछ लोग वास्तव में हथियार लेकर आए थे, लेकिन वे पूजा के लिए थे। हमने महिलाओं और बच्चों के साथ रैली में भाग लिया। क्या हम किसी पर हमला करेंगे? हर साल शांतिपूर्वक रैली निकाली जाती रही है।

उधर, दोहरे हत्याकांड में फरार आरोपी मोनू मानेसर भी अपने पिछले बयान से पीछे हट गया है। उसने कहा है कि वो नूंह की उस धार्मिक रैली में 31 जुलाई को शामिल नहीं था। उसका कहना था कि उसे वीएचपी और बजरंग दल ने आने से रोक दिया था। हालांकि मोनू मानेसर ने ही कई दिन पहले सोशल मीडिया पर वीडियो जारी कर रहा था कि वो नूंह की जलाभिषेक यात्रा में मौजूद रहेगा। जो करना हो कर लो।

अपने वायरल वीडियो, जिसे हिंसा के पीछे के तीन वीडियो में से एक बताया जा रहा है, पर टिप्पणी करते हुए बिट्टू बजरंगी ने कहा कि उन्हें रैली से दो दिन पहले धमकी मिली थी कि अगर वह रैली में शामिल होंगे तो उनका विधिवत ‘स्वागत’ किया जाएगा।

इस वीडियो के आने के बाद और बिट्टू बजरंगी के वीडियो के बाद से मेवात में तनाव पैदा हो गया। इसका नतीजा 31 जुलाई की धार्मिक यात्रा में सामने आया। बिट्टू बजरंगी ने अपने वीडियो में खुद को मेवात का दामाद कहा था। उसका वीडियो काफी आपत्तिजनक था।

 

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