भारत की आर्थिक खुशहाली को चीन से होने वाले नुकसान पर मोदी सरकार की रहस्यमय चुप्पी चिंताजनक: कांग्रेस
नई दिल्ली: कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने बुधवार को दावा किया कि चीन से अनियंत्रित आयात घरेलू स्तर पर ‘विनाश’ मचा रहा है। उन्होंने मोदी सरकार पर देश की क्षेत्रीय अखंडता और आर्थिक समृद्धि को चीन द्वारा पहुंचाए जा रहे नुकसान पर ‘सोची समझी चुप्पी’ और ‘निष्क्रियता’ बनाए रखने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि अनियंत्रित चीनी आयात और ‘डंपिंग’ पर भारत सरकार की प्रतिक्रिया ‘बिखरी’ हुई है।
यह टिप्पणी थिंक टैंक ग्लोबल ट्रेड रिसर्च इनिशिएटिव (जीटीआरआई) की उस रिपोर्ट पर आई है, जिसमें कहा गया है कि चीन से छाता और संगीत के उपकरणों का आयात भारतीय एमएसएमई सेक्टर को प्रभावित कर रहा है। जयराम रमेश ने ‘एक्स’ पर कहा, “हर दिन चीनी आयात पर भारतीय अर्थव्यवस्था की बढ़ती निर्भरता पर नई जानकारी सामने आ रही है। आज हमें पता चला कि हमारे देश के लगभग 96% छाते और 50% से अधिक खिलौने और संगीत के उपकरण चीन से आ रहे हैं।”
जयराम रमेश का कहना है कि इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों जैसे महत्वपूर्ण उद्योगों में चीन से भारत का आयात लगभग 9 गुना बढ़ गया है, जो 2016-17 में 1.4 अरब डॉलर था और 2023-24 में बढ़कर 12.1 अरब डॉलर हो गया है। कांग्रेस महासचिव ने कहा कि इस अवधि के दौरान भारत की दवाओं का आयात 1.6 अरब डॉलर से दोगुना होकर 3.3 अरब डॉलर हो गया है।
अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए जयराम रमेश ने कहा, “दुनिया भर की सरकारें चीन की अत्यधिक औद्योगिक क्षमता और अन्य देशों में इसके माल की ‘डंपिंग’ को लेकर जागरूक हैं। वे अनियंत्रित चीनी आयात को रोकने के लिए सक्रिय कदम उठा रही हैं और चीन पर आर्थिक रूप से निर्भर होने के जोखिम की जगह उससे ‘अलग’ होने को प्राथमिकता देने के लिए समन्वित आर्थिक नीतियों पर अमल कर रही हैं। लेकिन हमारी सीमाओं पर और हमारी भूमि के अंदर चीनी सैनिकों से बढ़ते राष्ट्रीय सुरक्षा खतरों के बावजूद, भारत सरकार इस मामले में सुस्ती बरत रही है।”
कांग्रेस महासचिव ने कहा कि ‘टिकटॉक’ पर तो प्रतिबंध लगा दिया गया, लेकिन आयात बढ़ रहा है। चीन से अनियंत्रित आयात घरेलू स्तर पर कहर बरपा रहा है। उदाहरण के लिए, प्रधानमंत्री के गृह राज्य गुजरात में भारत के लगभग 30-35% स्टेनलेस स्टील एमएसएमई को बड़े पैमाने पर सस्ते चीनी आयात के कारण जुलाई से सितंबर 2023 के बीच बंद करना पड़ा है। कांग्रेस नेता का कहना है कि इस क्षेत्र के 80% एमएसएमई गुजरात में हैं और स्टील जैसी महत्वपूर्ण घरेलू उद्योग का इस तरह से बर्बाद होना एक आर्थिक चुनौती और राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा है।
जयराम रमेश ने स्पष्ट रूप से कहा कि चीन से आयात में वृद्धि सहनीय हो सकती थी यदि इसे भारतीय विनिर्माण और निर्यात का समर्थन मिलता। लेकिन भारत का विनिर्माण आधार सिकुड़ रहा है। सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के प्रतिशत के रूप में यह यूपीए शासन के 16.5% से घटकर आज 14.5% रह गया है। श्रम आधारित विनिर्माण विशेष रूप से धीमा रहा है। वस्त्र, चमड़ा, कपड़ा और जूता के वैश्विक निर्यात में भारत की हिस्सेदारी 2002 में 0.9% थी। यह 2013 में बढ़कर 4.5% की ऊंचाई पर पहुंच गई, लेकिन 2022 में यह घटकर 3.5% रह गई।”
कांग्रेस महासचिव का कहना है कि ऐसे समय में जब विनिर्माण वैश्विक स्तर पर प्राथमिकता बन रहा है और हार्डवेयर उत्पादन कृत्रिम बुद्धिमत्ता और स्वच्छ ऊर्जा जैसे उभरते क्षेत्रों के लिए महत्वपूर्ण हो गया है, भारत विनिर्माण में वृद्धि करने में अपनी अक्षमता के कारण पीछे है। उन्होंने दावा किया कि इस क्षेत्र में मजबूती से आगे बढ़ने की कोशिश करने की बजाय, चीन से अनियंत्रित आयात से हमारा मौजूदा विनिर्माण भी कमजोर हो रहा है। 19 जून 2020 को चीन को प्रधानमंत्री द्वारा दी गई ‘क्लीन चिट’ भविष्य की ओर इशारा था। चीन द्वारा देश की क्षेत्रीय अखंडता और आर्थिक समृद्धि को पहुंचाए जा रहे नुकसान पर एक रहस्यमय चुप्पी चिंताजनक है।