ईंधन की कीमतों को बढ़ाकर जनता से जबरन वसूली कर रही मोदी सरकार: चिदंबरम
देश में ईंधन की बढ़ती कीमतों को लेकर पूर्व वित्त मंत्री पी चिदंबरम ने केंद्र की मोदी सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि केंद्र सरकार द्वारा टैक्स के जरिये पेट्रोल और डीजल के दामों को बढ़ाना जनता से जबरन वसूली है.
भारतीय न्यूज़ चैनल NDTV के साथ एक इंटरव्यू में पूर्व वित्त मंत्री चिदंबरम ने कहा, “पेट्रोल की कीमत का एक तिहाई जो उपभोक्ता भुगतान करते हैं, केंद्र सरकार का टैक्स है. इसलिए, किसी भी वस्तु पर 33 प्रतिशत टैक्स लगाना जबरन वसूली है.”
ग़ौर तलब है कि चिदंबरम ने ईंधन में बढ़ती हुई कीमतों का विवरण देते हुए बताया कि अगर कोई एक लीटर पेट्रोल खरीदने के लिए 102 रुपये का भुगतान करता है तो इसमें से 42 रुपये तेल कंपनियों के पास जाता है. जिसमें कच्चे तेल का प्रसंस्करण भी शामिल है. 33 रुपये केंद्र सरकार के पास और 24 रुपये राज्य सरकारों के पास टैक्स के रूप में जाता हैं. इसके साथ ही 4 रुपये डीलर के पास जाते हैं. पूर्व वित्त मंत्री ने कहा,”102 रुपये में से 33 रुपये लगभग 33 फीसद होता है. मेरे अनुसार ये जबरन वसूली है.
बता दें कि पूर्व वित्त मंत्री और कांग्रेस नेता की ये टिप्पणी ऐसे समय में आई है, जब देश में पेट्रोल और डीजल की कीमतें बढ़ रही हैं, जो वैश्विक स्तर पर कच्चे तेल की दरों में बढ़ोतरी से प्रेरित हैं. यात्रा प्रतिबंधों में ढील और बढ़ती मांग के कारण आज 85 डॉलर प्रति बैरल के साथ तीन साल के उच्च स्तर पर पहुंच गईं.
चिदंबरम ने अपने इंटरव्यू में कहा कि केंद्र में पीएम मोदी के नेतृत्व वाली सरकार को ‘सबसे लालची’ सरकार है क्योंकि केंद्र अपने खर्चों को जनता के जेब से निकाल रहा है इसलिए केंद्र को अपने खर्च की वसूली के लिए राजस्व के एक ही स्रोत पर निर्भर रहना बंद कर देना चाहिए.
चिदंबरम ने दावा किया, ”पेट्रोल और डीजल पर टैक्स पीछे धकेलने वाला है क्योंकि एक अमीर व्यक्ति और एक गरीब व्यक्ति द्वारा ईंधन पर चुकाए गए टैक्स की राशि समान होती है.”
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