मौलाना तौकीर रज़ा की ज़मानत अर्ज़ी बरेली अदालत से ख़ारिज
बरेली की एक अदालत ने इत्तेहाद-ए-मिल्लत काउंसिल (IMC) के प्रमुख मौलाना तौक़ीर रज़ा और अन्य पाँच लोगों की ज़मानत याचिकाओं को ख़ारिज कर दिया है। इन सभी पर 26 सितंबर को “I Love Muhammad” पोस्टर विवाद से जुड़े दंगों के दौरान पुलिस अधिकारियों पर हमले का आरोप है।
एडीजीसी (महेश पाठक) ने बताया कि IMC प्रमुख मौलाना तौक़ीर रज़ा ने प्रशासनिक प्रतिबंधों के बावजूद मुसलमानों से इस्लामिया मैदान में इकट्ठा होने की अपील की थी। पाठक के अनुसार जब पुलिस ने हस्तक्षेप करने की कोशिश की तो भीड़ ने पथराव शुरू कर दिया। इस दौरान उपद्रवियों ने कथित तौर पर पुलिस अधीक्षक (सिटी) की राइफल और एक पुलिस जीप से वायरलेस सेट छीन लिया।
मामले की समीक्षा के बाद अदालत ने कानून प्रवर्तन अधिकारियों पर हमले के आरोप में गिरफ्तार मौलाना तौक़ीर रज़ा समेत सभी छह आरोपियों की ज़मानत याचिका ख़ारिज कर दी। इस घटना को लेकर कोतवाली, बारादरी, प्रेम नगर, कैंट और किला थानों में कुल दस एफआईआर दर्ज की गईं, जिनमें 125 से ज़्यादा नामज़द और करीब 2500 अज्ञात आरोपी शामिल हैं।
फिलहाल मौलाना तौक़ीर रज़ा फतेहगढ़ जेल में बंद हैं, जबकि अन्य आरोपी बरेली जेल में हैं। IMC प्रमुख के वकील ने बारादरी थाना क्षेत्र के श्यामगंज में हुए हिंसा मामले में जमानत याचिका दायर की थी। एडीजीसी पाठक ने बताया कि शुक्रवार को अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायाधीश (बरेली) अमृता शुक्ला की अदालत में सुनवाई हुई, जिसमें मौलाना तौक़ीर रज़ा, फैज़ान तक़सीम, मुनीर इदरीसी (सभी बरेली निवासी) और बिहार के पूर्णिया ज़िले के रहने वाले हरमैन व नेमतुल्लाह की जमानत याचिकाएँ खारिज कर दी गईं।
मौलाना तौक़ीर रज़ा 27 सितंबर से जेल में हैं। स्थानीय लोगों और उनके समर्थकों का कहना है कि “I Love Muhammad” अभियान के तहत 26 सितंबर को जुमे की नमाज़ के बाद एक शांतिपूर्ण प्रदर्शन का कार्यक्रम तय था, लेकिन पुलिस की अनावश्यक दखलंदाज़ी से माहौल बिगड़ गया। समर्थकों का यह भी आरोप है कि इसके बाद योगी सरकार ने कई निर्दोष लोगों पर मुकदमे दर्ज किए और बुलडोज़र जैसी कार्रवाइयों के ज़रिए उन्हें परेशान किया जा रहा है।

