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मौलाना कलीम सिद्दीकी और उमर गौतम एनआईए कोर्ट से दोषी क़रार

मौलाना कलीम सिद्दीकी और उमर गौतम एनआईए कोर्ट से दोषी क़रार 

लखनऊ: अवैध धर्मांतरण मामले में एक महत्वपूर्ण मोड़ तब आया जब मौलाना कलीम सिद्दीकी, मौलाना उमर गौतम सहित 14 अन्य आरोपियों को अदालत ने दोषी ठहराया। ये मामला पिछले कई महीनों से चर्चा में रहा, जिसमें इन आरोपियों पर आरोप था कि उन्होंने गैरकानूनी तरीके से धर्म परिवर्तन की योजनाओं को अंजाम दिया। अदालत के जज विवेकानंद शरण त्रिपाठी ने इस मामले की सुनवाई के बाद सभी आरोपियों को दोषी करार दिया, और उनकी सजा का ऐलान कल, 11 सितंबर को किया जाएगा।

इस मामले में मौलाना उमर गौतम और मौलाना कलीम सिद्दीकी प्रमुख आरोपी हैं, जिन पर आरोप है कि वे लोगों को अवैध तरीके से धर्मांतरण करने के लिए प्रेरित कर रहे थे। इस पूरी साजिश में उनके 14 अन्य सहयोगियों की भी भूमिका बताई गई है, जिन्हें अदालत ने भारतीय दंड संहिता की कई धाराओं के तहत दोषी ठहराया है।

इनमें धारा 417 (धोखाधड़ी), 120बी (आपराधिक षड्यंत्र), 153ए (धार्मिक विद्वेष फैलाना), 153बी (राष्ट्र विरोधी गतिविधियाँ), 295ए (धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुँचाना), 121ए (राजद्रोह की साजिश), और 123 (सरकारी संपत्ति को नुकसान पहुंचाना) शामिल हैं। इसके साथ ही उत्तर प्रदेश अवैध धर्मांतरण विरोधी कानून की धारा 3, 4 और 5 के तहत भी उन्हें दोषी पाया गया है।

इस केस की जांच और सुनवाई के दौरान, एनआईए (राष्ट्रीय जांच एजेंसी) और एटीएस (एंटी-टेररिस्ट स्क्वॉड) ने इस मामले को संभाला और गहन जांच के बाद अदालत में आरोपियों के खिलाफ सबूत प्रस्तुत किए। एनआईए और एटीएस ने दावा किया कि इन लोगों ने जानबूझकर आर्थिक रूप से कमजोर और समाज के हाशिये पर रहने वाले लोगों को निशाना बनाकर उनका धर्म परिवर्तन कराया। जांच में यह भी पता चला कि इस साजिश के पीछे एक संगठित नेटवर्क काम कर रहा था, जो कि विदेशों से भी समर्थन प्राप्त कर रहा था।

अदालत के फैसले के तुरंत बाद मौलाना कलीम सिद्दीकी, मौलाना उमर गौतम और अन्य सभी दोषियों को हिरासत में लेकर जेल भेज दिया गया है। इस केस में कम से कम सजा 10 साल और अधिकतम सजा उम्रकैद तक हो सकती है। जज त्रिपाठी ने कहा कि यह मामला समाज में गंभीर असर डालने वाला है, और सजा का ऐलान कल यानी 11 सितंबर को किया जाएगा।

इस बीच, कुछ मुस्लिम संगठनों ने इस फैसले पर कड़ा विरोध जताया है और इस मामले को उच्च न्यायालय या सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देने का इरादा जताया है। बताया जा रहा है कि इन संगठनों ने कानूनी सलाहकारों के साथ बैठक की है और जल्द ही फैसले के खिलाफ अपील की योजना बना रहे हैं। इस दिशा में अगले दो दिनों के भीतर कोई अंतिम निर्णय लिया जा सकता है।

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