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वक़्फ़ संशोधन कानून के ख़िलाफ़ पटना में ज़बरदस्त प्रदर्शन

वक़्फ़ संशोधन कानून के ख़िलाफ़ पटना में ज़बरदस्त प्रदर्शन
पटना के ऐतिहासिक गांधी मैदान में रविवार को ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड और इमारत-ए-शरीअत बिहार, ओडिशा व झारखंड के तत्वावधान में आयोजित ‘वक़्फ़ बचाओ, संविधान बचाओ’ कॉन्फ्रेंस एक बड़े जनांदोलन में तब्दील हो गई। हज़ारों की संख्या में मुसलमानों की भागीदारी से मैदान छोटा पड़ गया और यह प्रदर्शन एक विशाल जनसभा का रूप ले बैठा। इस सम्मेलन का उद्देश्य केंद्र की मोदी सरकार द्वारा प्रस्तावित वक़्फ़ संशोधन कानून 2025 के खिलाफ आवाज़ उठाना था, जिसे वक्ताओं ने न केवल धार्मिक मामलों में हस्तक्षेप बताया, बल्कि इसे संविधान और लोकतांत्रिक मूल्यों के भी खिलाफ बताया।
इस सम्मेलन में राजनीतिक और धार्मिक नेतृत्व की बड़ी भागीदारी रही, जिनमें बिहार विधानसभा में विपक्ष के नेता तेजस्वी यादव, कांग्रेस के वरिष्ठ नेता सलमान खुर्शीद, राज्यसभा सांसद इमरान प्रतापगढ़ी, कम्युनिस्ट पार्टी के नेता दीपांकर भट्टाचार्य, पप्पू यादव और AIMIM के बिहार प्रमुख अख़्तरुल इमान प्रमुख नाम हैं।
अपने जोशीले भाषण में तेजस्वी यादव ने वक़्फ़ कानून में प्रस्तावित संशोधन को मुसलमानों, दलितों, पिछड़े और अन्य कमजोर वर्गों के अधिकारों पर सीधा हमला बताया। उन्होंने साफ शब्दों में कहा: ‘‘यह देश किसी के बाप का नहीं है, यह हिंदुस्तान हम सबका है।’’ उन्होंने मतदाता सूची में संशोधन के बहाने अल्पसंख्यकों और वंचित वर्गों के वोटिंग अधिकारों को छीनने की कोशिशों की भी कड़ी आलोचना की। तेजस्वी ने एलान किया कि अगर राज्य में महागठबंधन की सरकार बनी तो इस कानून को पहले ही दिन कूड़ेदान में फेंक दिया जाएगा।
मौलाना अहमद वली फैसल रहमानी ने कहा कि वक़्फ़ संशोधन कानून पूरी तरह अन्यायपूर्ण है और यह धार्मिक स्वायत्तता में हस्तक्षेप है। उन्होंने एलान किया कि ‘‘जब तक यह कानून वापस नहीं लिया जाता, हमारा विरोध जारी रहेगा।’’ मौलाना अरशद मदनी ने कहा कि कुछ ख़ास सोच रखने वाले लोग देश के संविधान को दिल से कभी स्वीकार नहीं कर पाए और अब उसे बदलने की साज़िशें कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि संविधान देश की बहुलतावादी पहचान की गारंटी है, जिसे किसी कीमत पर कमजोर नहीं होने दिया जाएगा।
वक्ताओं ने इस मौक़े पर आज़ादी की लड़ाई में मुसलमानों की कुर्बानियों को याद करते हुए कहा कि भारत की आज़ादी किसी एक वर्ग की देन नहीं है, बल्कि हिंदू, मुस्लिम, सिख, ईसाई सभी ने मिलकर बराबर कुर्बानियां दी हैं। इसलिए देश पर किसी एक पार्टी या समुदाय की बादशाहत बर्दाश्त नहीं की जाएगी। विरोध प्रदर्शन के दौरान गांधी मैदान सुबह 6 बजे से दोपहर 2 बजे तक लोगों से खचाखच भरा रहा। कड़ी धूप और गर्मी के बावजूद लोग जोश के साथ अपने नेताओं के भाषण सुनते रहे। प्रशासन की ओर से सुरक्षा के कड़े इंतज़ाम किए गए थे।
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