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अरुंधति रॉय पर मुकदमा चलाने के ख़िलाफ़ कई बुद्धिजीवियों ने आवाज़ उठाई

अरुंधति रॉय पर मुकदमा चलाने के ख़िलाफ़ कई बुद्धिजीवियों ने आवाज़ उठाई

एक प्रमुख नागरिक समाज समूह और कई बुद्धिजीवियों ने 13 साल पुराने ‘घृणास्पद भाषण’ मामले में देश की प्रसिद्ध लेखिका और सामाजिक कार्यकर्ता अरुंधति राय और कश्मीरी मानवाधिकार कार्यकर्ता शेख शौकत हुसैन को दोषी ठहराए जाने के फैसले की कड़ी निंदा की है और कहा है कि यह जायज़ आवाज़ों को दबाने का एक और प्रयास।

बता दें कि यह मामला 2010 का है जब कश्मीरी पंडित समूह ‘रूट्स इन कश्मीर’ की शिकायत के बाद एक एफआईआर दर्ज की गई थी, जिसमें आरोप लगाया गया था कि राजनीतिक कैदियों की रिहाई के लिए समिति द्वारा आयोजित एक सम्मेलन में अरुंधति रॉय और शौकत शेख ने कश्मीर को लेकर भड़काऊ भाषण देना देशद्रोह के अंतर्गत आता है।

इस कार्रवाई के खिलाफ मोदी सरकार को लिखे पत्र में सफाई कर्मचारियों के अधिकारों की आवाज उठाने वाले जाने-माने सामाजिक कार्यकर्ता बेजवाड़ा विल्सन, हैदराबाद बुक ट्रस्ट की गीता राम स्वामी, लोकसभा सांसद थुला थिरुमलावन, प्रसिद्ध इतिहासकार रामचंद्र गुहा, बामा , के. सच्चिदानंदन, पेरुमल मुरुगन, कन्नन सुंदरम और एस. आनंद शामिल हैं।

पत्र में कहा गया है, ”अरुंधति राय और प्रोफेसर हुसैन के खिलाफ कानूनी कार्यवाही की मंजूरी को हम केंद्र की भाजपा सरकार का एक और जबरदस्ती कदम मानते हैं।” यह असहमति को दबाने का असफल प्रयास है।’ हम सरकार और प्रशासन से आग्रह करते हैं कि वे ‘राष्ट्रीय सुरक्षा’ की रक्षा के नाम पर अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर खुलेआम हमला न करें।

बता दें कि दिल्ली के उप-राज्यपाल विनय कुमार सक्सेना ने सीआरपीसी की धारा 196 के तहत अरुंधति रॉय और शेख शौकत हुसैन के खिलाफ मुकदमा चलाने को मंजूरी दे दी है। इन दोनों के खिलाफ आईपीसी की धारा 153ए, 153बी और 505 के तहत मामला दर्ज करने का आदेश नई दिल्ली के मेट्रोपॉलिटिन मजिस्ट्रेट ने 27 नवंबर 2010 को दिया था, जिसके बाद इनके खिलाफ FIR दर्ज की गई थी।

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