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फिर सुलग उठा मणिपुर, हिंसा में 13 की मौत

फिर सुलग उठा मणिपुर, हिंसा में 13 की मौत

महीनों से चली आ रही मणिपुर हिंसा की आग बुझने का नाम ही नहीं ले रही है. हिंसा की यह आग शुरू में बेहद भीषण थी और धीरे-धीरे इस आग ने अपनी चपेट में कई निर्दोष और बेगुनाह लोगों को लिया. इसके चलते पूरा मणिपुर अस्त- व्यस्त हो गया. महीनों तक स्कूल बंद रहे. लोगों के कारोबार बर्बाद हो गए और यहां तक कि पिछले 7 महीनों से मणिपुर में इन्टरनेट सेवाएं भी बंद रहीं.

इस हिंसा की आग थोड़ी हलकी होती हुई सी प्रतीत हो रही थी. मगर सोमवार को एक बार फिर हिंसा की ये आग भड़कती हुई नज़र आई. जब मणिपुर के तेंगनोउपल जिले के लेतीथू गांव के पास दो समूहों के बीच होने वाली फायरिंग में 13 लोगों ने अपनी जान गवाई.

सुरक्षाबल के एक अधिकारी के अनुसार, सुरक्षाबल को टेंग्नौपाल जिले के साइबोल के पास लीथू गांव में आतंकवादियों के दो समूहों के बीच गोलीबारी होने की खबर मिली थी। जैसे ही सुरक्षाबल लीथू गांव में पहुंची तभी उन्हें घटनास्थल से 13 लोगों के शव मिले। हांलाकि शवों के पास से कोई हथियार नहीं मिला।

मृत लोगों की पहचान की पुष्टि अभी नहीं हो पाई है। सुरक्षाबल के अधिकारी ने बताया कि मृतक लीथु क्षेत्र के नहीं लगते हो सकता है कि वे किसी दूसरी जगह से आए हों जिसके बाद वे एक अलग समूह के साथ गोलीबारी में शामिल हो गए और उनकी जान चली गई। हांलाकि घटनास्थल पर पुलिस बल भी मौजूद है।

आधिकारिक सूत्र ने कहा कि लीथु क्षेत्र में मृत व्यक्ति स्थानीय निवासी नहीं लग रहे थे, जो इस बात की तरफ साफ़ इशारा करते हैं कि वे कहीं और से आए होंगे और हिंसा भड़काने के इरादे से दूसरे समूह के साथ गोलीबारी में शामिल हुए होंगे. आपको बता दें की रिपोर्ट के मुताबिक मृतकों की पहचान अभी भी अज्ञात है.

बता दें कि मणिपुर में 3 मई से ही मैतेई और कुकी समुदायों के बीच जातीय झड़पों से हिंसा भड़का हुआ है। इन झड़पों में कम से कम 182 लोग मारे गए और लगभग 50000 बेघर हो गए। रविवार को ही अधिकारियों ने सात महीने के बाद हिंसा प्रभावित राज्य में कुछ जिलों के सीमावर्ती क्षेत्रों को छोड़कर मोबाइल इंटरनेट सेवाओं पर प्रतिबंध हटा दिया था।

पिछले सात महीनों में अधिकांश हिंसा, गोलीबारी, आगजनी और अपहरण हुए हैं। केंद्र और मणिपुर सरकार द्वारा राज्य के सबसे पुराने उग्रवादी संगठन यूनाइटेड नेशनल लिबरेशन फोर्स (यूएनएलएफ) के साथ नई दिल्ली में शांति समझौते पर हस्ताक्षर करने के चार दिन बाद निलंबन हटाया गया था।

 

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