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नीति आयोग की बैठक से ममता का वॉकआउट, माइक बंद करने का लगाया आरोप

नीति आयोग की बैठक से ममता का वॉकआउट, माइक बंद करने का लगाया आरोप

नई दिल्ली: पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने दिल्ली में नीति आयोग की बैठक से वॉकआउट किया है। नीति आयोग की शनिवार की बैठक शुरू से ही विवादों के केंद्र में है। कई विपक्ष शासित राज्यों ने घोषणा की थी कि वे बैठक का बहिष्कार करेंगे। तीन कांग्रेस शासित राज्यों के मुख्यमंत्रियों – कर्नाटक के सिद्धारमैया, हिमाचल प्रदेश के सुखविंदर सिंह सुक्खू और तेलंगाना के रेवंत रेड्डी ने घोषणा की है कि वे केंद्रीय बजट 2024 में अपने राज्यों के प्रति भेदभाव को लेकर बैठक में शामिल नहीं होंगे। बैठक से बाहर निकलने के बाद ममता बनर्जी ने आरोप लगाया कि मीटिंग में उनका अपमान किया गया है।

उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार को राज्य सरकारों के साथ भेदभाव नहीं करना चाहिए। वह मीटिंग में बोलना चाहती थी लेकिन उन्हें केवल 5 मिनट बोलने की अनुमति दी गई। उनसे पहले लोगों ने 10-20 मिनट तक बात की। पश्चिम बंगाल की सीएम ने कहा कि वह विपक्ष की एकमात्र सदस्य थी जो मीटिंग में भाग ले रही थी लेकिन फिर भी उन्हें बोलने की अनुमति नहीं दी गई। टीएमसी प्रमुख ने बताया कि वह एकमात्र विपक्षी सदस्य थीं और उन्हें बोलने से रोकने के लिए “भेदभावपूर्ण कार्रवाई” की गई जो “अपमान” है। न सिर्फ बंगाल बल्कि अन्य क्षेत्रीय पार्टियों के प्रमुखों या सीएम को मौका नहीं दिया गया।”

पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कहा कि मैं बोल रही थी और मेरा माइक बंद कर दिया गया। मैंने कहा कि आपने मुझे क्यों रोका, आप भेदभाव क्यों कर रहे हैं। मैं बैठक में भाग ले रही हूं, आपको खुश होना चाहिए, इसके बजाय आप अपनी पार्टी और अपनी सरकार को और अधिक गुंजाइश दे रहे हैं। विपक्ष से केवल मैं ही हूं और आप मुझे बोलने से रोक रहे हैं। यह न केवल बंगाल का अपमान है, बल्कि सभी क्षेत्रीय दलों का भी अपमान है।

नीति आयोग में सभी राज्यों के मुख्यमंत्री, केंद्र शासित प्रदेशों के उपराज्यपाल और कई केंद्रीय मंत्री सदस्य के रूप में शामिल हैं। प्रधानमंत्री मोदी नीति आयोग के अध्यक्ष हैं। बैठक में पिछले साल दिसंबर में आयोजित मुख्य सचिवों के तीसरे राष्ट्रीय सम्मेलन की सिफारिशों पर भी ध्यान केंद्रित किया गया। सम्मेलन के दौरान, पाँच प्रमुख विषयों पर सिफारिशें की गईं – पेयजल: पहुंच, मात्रा और गुणवत्ता; बिजली: गुणवत्ता, दक्षता और विश्वसनीयता; स्वास्थ्य: पहुंच, सामर्थ्य और देखभाल की गुणवत्ता; स्कूली शिक्षा: पहुंच और गुणवत्ता और भूमि और संपत्ति: पहुंच, डिजिटलीकरण, पंजीकरण।

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