ममता सरकार का वक़्फ़ संशोधन विधेयक के खिलाफ बिल लाने की तैयारी में
पश्चिम बंगाल विधानसभा का शीतकालीन सत्र सोमवार से शुरू हो चुका है। इस बार ममता बनर्जी सरकार ने विधानसभा में वक़्फ़ संशोधन विधेयक 2024 के खिलाफ एक विधेयक पेश करने की योजना बनाई है, जिससे इस सत्र के हंगामेदार होने की संभावना है। सत्र के पहले दिन इसकी झलक भी देखने को मिली।
सूत्रों के मुताबिक, मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने फैसला किया है कि उनकी सरकार इस शीतकालीन सत्र के दौरान वक़्फ़ संशोधन विधेयक के खिलाफ एक विधेयक पेश करेगी। हालांकि, यह अभी स्पष्ट नहीं हो पाया है कि इसे विधेयक के रूप में पेश किया जाएगा या प्रस्ताव के रूप में। सरकार की ओर से इस संकेत के मिलते ही विधानसभा में विपक्षी दल बीजेपी ने इसका विरोध करने का ऐलान कर दिया है।
बीजेपी ने साफ कर दिया है कि इस बार वह राज्य सरकार का साथ नहीं देगी। मानसून सत्र के आखिरी दिन जब सत्तारूढ़ पार्टी के सदस्यों ने राज्य गान “बांग्लार माटी बांग्लार जल ” गाया था, तो बीजेपी के विधायकों ने भी खड़े होकर समर्थन जताया था। लेकिन इस बार बीजेपी ने कहा है कि उससे ऐसे शिष्टाचार की उम्मीद नहीं की जाए। बीजेपी के मुख्य सचेतक शंकर घोष ने सोमवार को पार्टी के विधायकों के साथ बैठक की, जिसमें यह फैसला किया गया कि अगर नए निर्वाचित विधायकों का शपथ ग्रहण समारोह होता है, तो बीजेपी के सदस्य उसमें भाग नहीं लेंगे।
ममता बनर्जी ने तृणमूल कांग्रेस के अल्पसंख्यक प्रकोष्ठ को मोदी सरकार द्वारा लाए गए वक़्फ़ संशोधन विधेयक के खिलाफ एक रैली आयोजित करने का निर्देश दिया है। तृणमूल अल्पसंख्यक प्रकोष्ठ के अध्यक्ष और विधायक मोशर्रफ हुसैन ने 30 नवंबर को रानी रासमणि एवेन्यू पर एक रैली का आयोजन किया है।
खबरों के मुताबिक, कोलकाता के मेयर फरहाद हकीम और लोकसभा में तृणमूल कांग्रेस के मुख्य सचेतक कल्याण बंद्योपाध्याय (जो कल्याण बनर्जी के नाम से प्रसिद्ध हैं) इस रैली में शामिल हो सकते हैं। पार्टी सूत्रों के अनुसार, कल्याण बनर्जी विधानसभा में वक्फ विधेयक पर तृणमूल कांग्रेस का रुख स्पष्ट करेंगे। गौरतलब है कि कल्याण बनर्जी संयुक्त संसदीय समिति के सदस्य भी हैं।
30 नवंबर को होने वाली रैली के बारे में मोशर्रफ हुसैन ने कहा कि वक़्फ़ संपत्तियां हमारे पूर्वजों की देन हैं। बीजेपी गैर-लोकतांत्रिक तरीके से कानून लाकर उन पर कब्जा करने की कोशिश कर रही है, लेकिन इस साजिश को कामयाब नहीं होने दिया जाएगा। उन्होंने कहा कि विधानसभा में विधेयक लाने के साथ ही इसके खिलाफ सड़कों पर भी विरोध प्रदर्शन किया जाएगा।
विधानसभा सत्र के पहले दिन नदिया के पालाशीपाड़ा के विधायक माणिक भट्टाचार्य, जिन्हें सीबीआई ने शिक्षक भर्ती घोटाले में गिरफ्तार किया था, जेल से रिहा होने के बाद पहली बार विधानसभा पहुंचे। शुरू में उन्हें अक्टूबर 2022 में ईडी ने गिरफ्तार किया था और 23 महीने बाद सितंबर में उन्हें जमानत मिली थी।
गौरतलब है कि हाल ही में हुए विधानसभा उपचुनावों में तृणमूल कांग्रेस ने सभी छह सीटों पर भारी अंतर से जीत हासिल की है। इसी विधानसभा सत्र में इन सभी नवनिर्वाचित विधायकों का शपथ ग्रहण समारोह आयोजित किया जाएगा। इस संबंध में बीजेपी ने पहले ही साफ कर दिया है कि उसके विधायक शपथ ग्रहण समारोह में मौजूद नहीं रहेंगे।
इससे पहले, विधानसभा अध्यक्ष और राज्यपाल सीवी आनंद बोस के बीच सियांतका बनर्जी और रबिउल हुसैन के शपथ ग्रहण के दौरान विवाद हो गया था। इसे देखते हुए सवाल उठता है कि क्या इस बार भी ऐसा होगा? संविधान दिवस के मौके पर मंगलवार को विधानसभा अध्यक्ष ने सभी विधायकों से संविधान दिवस पर चर्चा में भाग लेने की अपील की थी, लेकिन बीजेपी विधायकों ने इसमें हिस्सा लेने से भी इनकार कर दिया। इसलिए, माना जा रहा है कि यह सत्र जबरदस्त हंगामे का गवाह बनेगा।