BLO की मौत के बाद ममता बनर्जी ने चुनाव आयोग पर निशाना साधा
पश्चिम बंगाल में मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण यानी SIR को लेकर विवाद और गहरा हो गया है। मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने बुधवार को जलपाईगुड़ी जिले के माल इलाके में एक बूथ लेवल ऑफिसर की मौत पर तीव्र चिंता जताई और चुनाव आयोग की इस प्रक्रिया पर सवाल खड़े किए। उनके अनुसार लगातार बढ़ते दबाव और अनियंत्रित कार्यभार ने फील्ड में काम कर रहे कर्मचारियों को बेहद असुरक्षित स्थिति में धकेल दिया है।
ममता बनर्जी ने कहा कि जिस महिला की मौत हुई है, वह आंगनवाड़ी कार्यकर्ता थी और वर्तमान में बीएलओ के तौर पर नियुक्त थी। उन्होंने आरोप लगाया कि SIR के दौरान लगाए गए असहनीय बोझ और अंतहीन जिम्मेदारियों ने उसे मानसिक रूप से तोड़ दिया, जिसके कारण उसने जान दे दी। मुख्यमंत्री पहले भी राज्य में कई आत्महत्याओं की जड़ में इसी पुनरीक्षण प्रक्रिया को मान चुकी हैं।
उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘X’ पर जारी अपने बयान में निर्वाचन आयोग के कामकाज पर कड़ा प्रश्न उठाया। उनका कहना है कि 2026 के विधानसभा चुनावों से पहले आयोग ने जिस तरह का “बिना योजना का, निरंतर और थकाने वाला” दायित्व कर्मचारियों पर थोप दिया है, वह मानवीय सीमा से बाहर है। ममता बनर्जी ने आयोग से इस अभियान को तुरंत रोकने और पुनर्विचार करने का आग्रह किया, साथ ही चेताया कि अगर मौजूदा रफ्तार में यह काम जारी रहा तो और मौतों का खतरा बढ़ जाएगा।
तृणमूल कांग्रेस के कई नेताओं ने भी यही दावा किया है कि SIR की शुरुआत के बाद से मैदान में काम करने वाले बीएलओ लगातार अत्यधिक दबाव में हैं. लंबी ड्यूटी, दूर-दराज इलाकों में यात्रा की मजबूरी और तय समय सीमा के भीतर डेटा अपडेट करने की मांग ने कई कर्मचारियों की तबीयत बिगाड़ दी है। पार्टी का कहना है कि अब तक 28 से ज्यादा कर्मचारियों की जान इस तनावपूर्ण माहौल की भेंट चढ़ चुकी है।
मुख्यमंत्री द्वारा लगाए गए गंभीर आरोपों पर भारत निर्वाचन आयोग की ओर से फिलहाल कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया सामने नहीं आई है। राज्य की राजनीति में यह मुद्दा चुनावी माहौल से पहले बड़ा विवाद बन चुका है और प्रशासनिक कामकाज की दिशा पर भी सवाल उठा रहा है।

