ISCPress

महात्मा गांधी जाति भेष से नहीं कर्म से साधू थे : कैलाशानंद गिरी

महात्मा गांधी जाति भेष से नहीं कर्म से साधू थे : कैलाशानंद गिरी हरिद्वार और रायपुर में हुई धर्म संसद अलग-अलग वजह से चर्चा में हैं।

महात्मा गांधी पर रायपुर धर्म संसद के दौरान की गई अपमानजनक टिप्पणियों पर बयान देते हुए निरंजनी अखाड़ा के आचार्य महामंडलेश्वर कैलाशानंद गिरी ने कहा कि महात्मा गांधी पूजनीय हैं। वह भले ही जाती और वेष से साधु नहीं थे मगर वह कर्म के साधू थे।

आबकारी मंत्री कवासी लखमा के जन्मदिन पर हरिद्वार से रायपुर पहुंचे निरंजनी अखाड़ा के आचार्य महामंडलेश्वर कैलाशानंद ने कहा कि मैं शराबबंदी को लेकर आबकारी मंत्री से जरूर वार्ता करूंगा। मंत्री का स्वभाव अच्छा है। वह मेरा आदर करते हैं। शराबबंदी पर उनसे जरूर बात होगी। यह मेरा कर्तव्य है।

रायपुर धर्म संसद में महाराष्ट्र के कालीचरण का महात्मा गांधी पर दिया गया आपत्तिजनक बयान महामंडलेश्वर कैलाशानंद को रास नहीं आया है। उन्होंने कहा कि अगर कोई साधु अच्छा हो तोवह ऐसी बात नहीं करेगा। राष्ट्रपिता पूजनीय हैं। भले ही वह जाति और वेष से साधु नहीं थे लेकिन वह कर्म से साधु थे। उन्होंने कहा कि देश में 13 अखाड़े हैं। हम इनसे संबंधित संतों का आदर करते हैं। भारत एक स्वतंत्र देश है यहां सभी अपने अनुसार और अपने तरीके से काम करते हैं। किसी के मुंह पर लगाम नहीं लगाई जा सकती लेकिन ऐसी वाणी बोलिए औरन को शीतल करे, आप भी शीतल होय।

कैलाशानंद गिरि से कहा गया कि बहुत से संत ऐसा मानते हैं कि सनातन धर्म के अलावा कोई धर्म नहीं है। विशेषकर इस्लाम को लेकर कहा जाता है कि इसका अस्तित्व ही नहीं है। कैलाशानंद गिरि ने कहा कि सनातन धर्म 50 हज़ार, लाख, करोड़ों वर्ष पुराना है। तब हमारा केलकुलेटर काम करना बंद कर देता है। भगवान के 24 में से आठवां अवतार ऋषभदेव का था जो जैनियों के प्रथम तीर्थंकर बने। दसवां अवतार महात्मा बुद्ध है। सनातन धर्म के बाद दो ही धर्म आए हैं।

इस्लाम धर्म को लेकर उन्होंने कहा कि हम किसी धर्म का खंडन या निंदा नहीं कर रहे हैं। किसी भी धर्म के हो, आचार्य पूजन के योग्य हैं। उनके अनुयाई बिगड़ सकते हैं धर्म नहीं। साधु खराब हो सकता है परंपरा नहीं। सनातन धर्म अनादि काल से है अनादि काल तक रहेगा।

कैलाशानंद ने भाजपा और कांग्रेस के विचारों की वजह से संतों के भी बंटे होने के संबंध में पूछे गए सवाल के जवाब में कहा सन्यासी राष्ट्र का होता है। अगर कोई अच्छे व्यवहार, जन सरोकार, धर्म और संस्कार की बात करे तो भारत के संत उसे आशीर्वाद देंगे। अच्छे कामों को सराहना संतों का काम है। जो धर्म और राष्ट्र के हितेषी हैं वह मेरे लिए एक समान है।

याद रहे कि हरिद्वार में श्री पंचायती निरंजनी अखाड़ा के आचार्य महामंडलेश्वर कैलाशानंद गिरी हैं। महामंडलेश्वर बनने के लिए संतों के बीच वेद ,उपनिषद और धार्मिक ग्रंथों की परीक्षा देना पड़ती है। शास्त्रों का पूरे ज्ञान को परखा जाता है। कैलाशानंद दुनिया में सनातन धर्म के 7 आचार्य में से एक है। निरंजनी अखाड़ा देश के सबसे बड़े और प्रमुख अखाड़ों में से एक है। उसे जूना अखाड़े के बाद सबसे ताकतवर माना जाता है।

Exit mobile version