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महाराष्ट्र: नांदेड़ अस्पताल में 24 घंटे में 24 मरीजों की मौत पर MVA शिंदे सरकार पर हमलावर

महाराष्ट्र: नांदेड़ अस्पताल में 24 घंटे में 24 मरीजों की मौत पर MVA शिंदे सरकार पर हमलावर

महाराष्ट्र के नांदेड़ में स्वास्थ्य व‍िभाग की लापरवाही का बड़ा मामला सामने आया है। यहां के एक सरकारी अस्पताल में पिछले 24 घंटों में 12 शिशुओं सहित कम से कम 24 लोगों की मौत हो गई। सोमवार को मामले को लेकर विपक्षी महाविकास अघाड़ी (एमवीए) ने कड़ी प्रतिक्रिया की। अधिकारियों के अनुसार, डॉ. शंकरराव चव्हाण सरकारी मेडिकल कॉलेज और अस्पताल में मरने वालों में 2 से 4 दिन की उम्र के कम से कम 12 शिशु शामिल हैं, जबकि बाकी वयस्क हैं।

कांग्रेस प्रवक्ता विकास लांवडे ने सोशल मीडिया एक्स पर पोस्ट में कहा, “नांदेड़ के सरकारी अस्पताल में 24 घंटे में 12 नवजात शिशुओं सहित 24 मौतें केवल राज्य सरकार द्वारा दवा की आपूर्ति में कमी के कारण हुईं। धिक्कार है उस सरकार पर जो त्योहारों और आयोजनों का विज्ञापन करती है।

कांग्रेस के आरोपों पर महाराष्ट्र के सीएम एकनाथ शिंदे ने सफाई दी है। उन्होंने मीडिया से बात करते हुए कहा कि यह आधारहीन खबरें हैं। नांदेड के अस्पताल में 12 नवजातों की मौत की कोई जानकारी नहीं है। इस घटना के बाद महाराष्ट्र की स्वास्थ्य प्रणाली पर सवाल खड़े कर दिए हैं। घटना सामने आने के बाद लोगों का सरकार पर गुस्सा फुटा है।

विपक्षी दलों ने स्वास्थ्य मंत्री तानाजी सावंत को बर्खास्त करने या इस्तीफे की मांग करते हुए मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे की सरकार पर हमला किया है। पूर्व सीएम और नांदेड़ के वरिष्ठ कांग्रेस नेता अशोक चव्हाण ने घटना के बाद अस्पताल पहुंचकर हालात का जायजा लिया।

उन्होंने कहा कि इन मौतों के अलावा, जिले के अन्य निजी अस्पतालों से रेफर किए गए अन्य 70 मरीज ‘गंभीर’ बताए गए हैं। चव्हाण ने कहा कि अस्पताल के डीन ने कहा कि नर्सिंग और मेडिकल स्टाफ की कमी है। कुछ उपकरण काम नहीं कर रहे हैं और कुछ विभाग विभिन्न कारणों से चालू नहीं हैं। यह बहुत गंभीर मुद्दा है।

सरकार की आलोचना करते हुए राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी की सांसद सुप्रिया सुले ने सामूहिक मौतों की कड़ी निंदा करते हुए कहा, “यह ट्रिपल इंजन सरकार सभी 24 निर्दोष व्यक्तियों की मौत के लिए जिम्मेदार है।” एनसीपी के प्रवक्ता विकास लवांडे ने कहा कि ये मौतें सरकार की लापरवाही और मेडिकल सप्लाई की कमी के कारण हुई हैं। यह त्योहारों और आयोजनों का विज्ञापन करने वाली सरकार के लिए दुर्भाग्य है।

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