मध्य प्रदेश चुनाव 2018 से 2023 तक
नगर निकाय चुनाव हो, विधानसभा चुनाव हो, आम चुनाव हो या कोई और चुनाव, हर वोट मायने रखता है। इसीलिए राजनीतिक दल हर वोट पर विशेष ध्यान देते हैं। मध्य प्रदेश के इस विधानसभा चुनाव में भाजपा और कांग्रेस का आमना-सामना कैसा रहेगा, इसका अनुमान लगाना संभव नहीं है।
ज्योतिरादित्य सिंधिया के बीजेपी में जाने से भाजपा को मजबूती मिली है या नहीं? और अगर भाजपा को मज़बूती मिली है तो किस हद तक? यह एक अनुत्तरित प्रश्न है, क्योंकि यह भी कहा जा रहा है कि पिछली बार जब सिंधिया अपने साथियों के साथ भाजपा में शामिल हुए थे, तो उनके खिलाफ खड़े होने वाले भाजपा उम्मीदवारों की उम्मीदवारी का क्या होगा? एक सवाल और भी है कि सिंधिया और उनके साथी बीजेपी में तो शामिल हो गए लेकिन क्या कांग्रेस के कार्यकर्ता भी बीजेपी में शामिल हो गए?
यह सवाल कांग्रेस के लिए भी अहम होगा और वह ज्योतिरादित्य सिंधिया के प्रभाव क्षेत्र में कांग्रेस कार्यकर्ताओं की स्थिति जानना चाहेगी। वैसे प्रियंका गांधी ने मध्य प्रदेश में चुनाव प्रचार शुरू कर दिया है। इस बीच शिवराज सिंह चौहान ने ‘मुख्यमंत्री लाडली बहना’ लॉन्च किया है। विधानसभा चुनाव से कुछ महीने पहले इस योजना की शुरुआत अकल्पनीय नहीं है। दरअसल, शिवराज सिंह समझ सकते हैं कि हर चुनाव के साथ लोगों की उम्मीदें बढ़ती हैं और एंटी इनकम्बेंसी बढ़ने का डर रहता है।
चुनाव की तारीखों की घोषणा से ठीक पहले कुछ करने का ज्यादा असर नहीं होता है। फिर भी शिवराज सिंह चौहान इस बात को नजरअंदाज नहीं कर सकते कि 2018 में कांग्रेस और बीजेपी के बीच जबरदस्त टक्कर हुई थी और बीजेपी ज्यादा वोट पाकर भी सीटों के मामले में कांग्रेस से पिछड़ गई थी। इसलिए कमलनाथ सरकार बनाने में सफल रहे, लेकिन बीजेपी को ज्योतिरादित्य सिंधिया का समर्थन मिला और किसी तरह सत्ता छीनने में कामयाब रही।
2018 में बीजेपी और कांग्रेस के बीच टक्कर कितनी भीषण थी, इसका अंदाजा इस बात से भी लगाया जा सकता है कि बीजेपी और कांग्रेस के बीच वोटों का अंतर महज 0.13% का था। बीजेपी को 0.13% ज्यादा वोट मिले लेकिन उसे कांग्रेस से 5 सीटें कम मिलीं। उसे 41.02 फीसदी वोट और 109 सीटें मिलीं जबकि कांग्रेस को 40.89 फीसदी वोट और 114 सीटें मिलीं। 230 सदस्यीय मध्य प्रदेश विधानसभा में बहुमत साबित करने के लिए 116 सीटों की आवश्यकता थी, जिसमें कांग्रेस को बहुमत से दो सीटें कम मिलीं। 2013 के विधानसभा चुनाव की तुलना में बीजेपी का वोट प्रतिशत 3.86% कम हुआ और इस वजह से उसे 56 सीटों का नुकसान उठाना पड़ा।
दूसरी ओर कांग्रेस के वोट बढ़े। 2013 के विधानसभा चुनावों की तुलना में उसे 4.60 प्रतिशत अधिक वोट मिले और उसने 56 सीटें जीतीं, यानी जितनी सीटें बीजेपी हारीं, कांग्रेस को उतनी ही सीटें अधिक मिलीं। बहुजन समाज पार्टी तीसरे स्थान पर रही। उसे 5.01% वोट मिले थे,जबकि उसके खाते में 2 सीटें आयी थीं। 2013 की तुलना में उसे 1.2 फीसदी कम वोट मिले थे। 2013 की तुलना में उसे 2 सीटों का नुकसान हुआ है। समाजवादी पार्टी को एक सीट और 1.3 फीसदी वोट मिले थे। निर्दलीय उम्मीदवार को 4 सीटें और 5.8% वोट मिले। 1.4% लोगों ने नोटा में वोट किया। अब फोकस 2023 के मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव पर है कि पार्टियों की क्या स्थिति है।
डिस्क्लेमर (अस्वीकरण): ये लेखक के निजी विचार हैं। आलेख में शामिल सूचना और तथ्यों की सटीकता, संपूर्णता के लिए IscPress उत्तरदायी नहीं है।