लोकसभा चुनाव नतीजे इस का बात का साफ सबूत है कि भारत हिंदू राष्ट्र नहीं: डॉ अमर्त्य सेन

लोकसभा चुनाव नतीजे इस का बात का साफ सबूत है कि भारत हिंदू राष्ट्र नहीं: डॉ अमर्त्य सेन

प्रसिद्ध अर्थशास्त्री और नोबेल पुरस्कार विजेता डॉ. अमर्त्य सेन ने एक बार फिर अपनी तीव्र और स्पष्ट विचारधारा को प्रकट करते हुए कहा है कि हाल ही में संपन्न लोकसभा चुनावों के नतीजे इस बात का साफ सबूत हैं कि भारत एक हिंदू राष्ट्र नहीं है। उनके इस बयान ने राजनीतिक और सामाजिक हलकों में एक नई बहस छेड़ दी है।

हाल ही में संपन्न हुए लोकसभा चुनावों के नतीजे चौंकाने वाले थे। विभिन्न राजनीतिक दलों के बीच कड़ा मुकाबला देखने को मिला और अंततः नतीजे सामने आए। इसमें किसी एक पार्टी को पूर्ण बहुमत नहीं मिला और गठबंधन सरकार की संभावना बनी रही। यह चुनाव न सिर्फ राजनीतिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण थे, बल्कि समाजिक और सांस्कृतिक दृष्टिकोण से भी बेहद अहम थे।

डॉ. अमर्त्य सेन का बयान
डॉ. अमर्त्य सेन ने अपने बयान में कहा कि चुनावी नतीजों ने यह स्पष्ट कर दिया है कि भारत की जनता विविधता में एकता को मानती है और किसी एक धर्म या संस्कृति को पूरे देश पर थोपने की मानसिकता को स्वीकार नहीं करती। सेन के अनुसार, यह नतीजे दर्शाते हैं कि भारतीय जनता ने फिर से एक बार अपने धर्मनिरपेक्ष चरित्र को प्रमाणित किया है।

सेन ने जोर देकर कहा कि भारत एक धर्मनिरपेक्ष देश हैं। ऐसे देश के लिए राजनीतिक रूप से खुले विचारों की जरूरत है। उन्होंने कहा कि भारत को ‘हिंदू राष्ट्र’ में बदलने की सोच सही नहीं है। हमारा संविधान भी धर्मनिरपेक्षता की बुनियाद पर टिका है। हमें इसे बनाए रखना चाहिए।

नया सेंट्रल कैबिनेट पुराने कैबिनेट की कॉपी
अमर्त्य सेन ने कहा कि नया सेंट्रल कैबिनेट पुराने कैबिनेट की ही कॉपी है। उन्होंने कहा कि अब भी मंत्रियों के उनके पुराने विभाग सौंपगे गए। पुराने कैबिनेट में मामूली फेरबदल किया गया है। ज्यादातर मंत्रियों को वही पोर्टफोलियो मिला है जो पिछली कैबिनेट में उनके पास था। राजनीतिक रूप से शक्तिशाली लोग अभी भी शक्तिशाली हैं

भारत का धर्मनिरपेक्ष चरित्र
भारत एक धर्मनिरपेक्ष देश है, जहां विभिन्न धर्मों और संस्कृतियों का सह-अस्तित्व है। संविधान के अनुसार, सभी नागरिकों को समान अधिकार प्राप्त हैं और किसी भी धर्म के प्रति पक्षपात नहीं किया जाता। सेन का मानना है कि यह चुनावी नतीजे इस बात का प्रत्यक्ष प्रमाण हैं कि भारतीय समाज आज भी इन मूल्यों को बनाए हुए है।

बिना सुनवाई जेल में डालने की प्रथा ख़त्म होनी चाहिए
सेन ने अपने बचपन की याद का जिक्र करते हुए कहा कि ब्रिटिश शासन के दौरान कई लोगों को बिना सुनवाई जेल में डाल दिया जाता था। उन्होंने कहा कि जब मैं छोटा था, मेरे कई रिश्तेदार बिना किसी सुनवाई के जेल में डाल दिए गए थे। हमें उम्मीद थी कि आजाद भारत में ऐसा नहीं होगा। लेकिन, कांग्रेस भी इसमें सुधार नहीं कर पाई और अब यह चलन मौजूदा सरकार में भी जारी है।

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