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लिव-इन रिलेशनशिप इस्लाम में हराम: इलाहाबाद हाईकोर्ट

लिव-इन रिलेशनशिप इस्लाम में हराम: इलाहाबाद हाईकोर्ट

प्रयागराज, 26 जून: दुनिया में ‘लिव-इन-रिलेशनशिप’ यानी बिना शादी के साथ रहने का चलन बढ़ता जा रहा है। अलग-अलग जाति और धर्म के जोड़े भी लिव-इन रिलेशनशिप में रह रहे हैं। ऐसे ही एक मामले में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने बेहद अहम फैसला सुनाया है।

दरअसल, एक हिंदू लड़की ने कोर्ट में याचिका दायर कर मुस्लिम लड़के के साथ लिव-इन रिलेशनशिप में रहने की इजाजत मांगी थी, लेकिन इलाहाबाद हाई कोर्ट ने याचिका खारिज कर दी। लिव-इन रिलेशनशिप इस्लाम में हराम है। यह कहते हुए इलाहाबाद हाईकोर्ट ने मुस्लिम लड़के के साथ रहने की हिंदू लड़की की याचिका खारिज कर दी।

हाई कोर्ट ने कहा कि शादी से पहले कोई भी यौन या वासनापूर्ण कृत्य, जैसे चुंबन, ग़लत तरीक़े से छूना या घूरना, इस्लाम में अपराध है, इसलिए उन्हें एक साथ रहने कीअनुमति नहीं दी जा सकती। इलाहाबाद हाई कोर्ट का कहना है कि इस्लाम में किसी भी यौन कृत्य को व्यभिचार का हिस्सा समझा जाता है और इसे हराम माना जाता है।

कोर्ट ने क़ुरआन का भी हवाला दिया, जिसमें अविवाहित पुरुष और महिला को व्यभिचार के लिए कोड़े मारने की सजा दी गई है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, 29 साल की हिंदू लड़की 30 साल के मुस्लिम लड़के के साथ रहना चाहती है, लेकिन लड़की की मां ने इनकार कर दिया है।

लड़की की मां ‘लिव-इन-रिलेशनशिप’ रिश्ते से नाराज़ थी इसलिए लड़की की मां ने इसके खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई, जिसके बाद लड़की और लड़के ने कोर्ट में याचिका दायर कर सुरक्षा की मांग की थी, जिसे इलाहाबाद हाई कोर्ट ने इस्लाम और क़ुरआन का हवाला देते हुए मुस्लिम लड़के के साथ रहने की हिंदू लड़की की याचिका खारिज कर दी।

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