लद्दाख हिंसा: राष्ट्रीय सुरक्षा कानून के तहत सामाजिक कार्यकर्ता सोनम वांगचुक ग़िरफ़्तार
लद्दाख में हुई झड़पों और हिंसा के बाद, मशहूर सामाजिक कार्यकर्ता और पर्यावरण संरक्षण के पैरोकार सोनम वांगचुक को ग़िरफ़्तार कर लिया गया है। उनके खिलाफ यह कार्रवाई राष्ट्रीय सुरक्षा कानून (एनएसए) के तहत की गई है। पुलिस ने उन्हें डीजीपी एस. डी. सिंह जम्वाल की अगुवाई में ग़िरफ़्तार किया और तुरंत सुरक्षा के कड़े इंतज़ाम कर दिए। केंद्रीय गृह मंत्रालय का आरोप है कि, सोनम वांगचुक के बयानों ने हालात को और बिगाड़ा। मंत्रालय ने दावा किया कि, उन्होंने अपने भाषण में अरब स्प्रिंग और नेपाल की “जेन ज़ी” आंदोलनों का हवाला दिया, जिससे प्रदर्शनकारियों में उत्तेजना फैल गई। उनकी तक़रीर के बाद गुस्साए भीड़ ने बीजेपी कार्यालय और लेह की ज़िला परिषद (सीईसी) के दफ़्तर पर हमला कर दिया और सरकारी गाड़ियों में आग लगा दी।
गौरतलब है कि वांगचुक ने 10 सितंबर से भूख हड़ताल शुरू कर रखी थी। उनका मांग थी कि लद्दाख को अधिक स्वायत्तता, राज्य का दर्जा और छठे शेड्यूल में शामिल करने की गारंटी दी जाए। लेकिन 24 सितंबर को हुई हिंसा के बाद उन्होंने दो हफ़्ते पुराना अनशन ख़त्म कर दिया।
सोनम वांगचुक की ग़िरफ़्तारी ने स्थानीय स्तर पर नई बहस छेड़ दी है। उनके समर्थकों का कहना है कि, उन्हें “बलि का बकरा” बनाया गया है ताकि जनता के ग़ुस्से को दबाया जा सके। जबकि सरकार का रुख है कि शांति और क़ानून-व्यवस्था बनाए रखने के लिए यह कदम ज़रूरी था। मौजूदा हालात में लेह और आसपास के इलाक़े सख़्त निगरानी में हैं और सुरक्षाबल किसी भी नई गड़बड़ी को रोकने के लिए तैनात हैं। स्थिति कब सामान्य होगी, यह कहना मुश्किल है, मगर इतना तय है कि लद्दाख की राजनीतिक स्थिति पर विवाद और गहराता जा रहा है।
यह भी साफ़ कर दिया गया है कि, सोनम वांगचुक की ग़िरफ़्तारी के बाद लेह में मोबाइल इंटरनेट बंद और ब्रॉडबैंड की गति सीमित कर दी गई है। यह कदम 24 सितंबर को हुई हिंसक घटनाओं के बाद उठाया गया। उस दिन हुए प्रदर्शनों के दौरान झड़पों में 4 लोगों की मौत हो गई और कम से कम 90 लोग घायल हुए। हिंसा के बाद पूरे लेह में कर्फ़्यू लगा दिया गया और पुलिस व अर्धसैनिक बलों को सख़्ती से लागू करने का आदेश दिया गया। अब तक 50 से ज़्यादा लोगों को हिरासत में लिया जा चुका है।

