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पीएम मोदी की जगह कीर्ति वर्धन सिंह ग़ाज़ा शांति सम्मेलन में भारत का प्रतिनिधित्व करेंगे

पीएम मोदी की जगह कीर्ति वर्धन सिंह ग़ाज़ा शांति सम्मेलन में भारत का प्रतिनिधित्व करेंगे

भारत ने विदेश राज्य मंत्री कीर्ति वर्धन सिंह को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के विशेष दूत के रूप में ग़ाज़ा शांति शिखर सम्मेलन में देश का प्रतिनिधित्व करने के लिए भेजा है, जो सोमवार को मिस्र के शहर शर्म-अल-शेख में आयोजित हो रहा है। सिंह ने सोशल मीडिया पर बताया कि, वह प्रधानमंत्री मोदी के विशेष प्रतिनिधि के तौर पर इस बैठक में हिस्सा लेने के लिए काहिरा पहुँच चुके हैं।

प्रधानमंत्री मोदी ने सम्मेलन में हिस्सा क्यों नहीं लिया?
यह निर्णय उस समय लिया गया जब प्रधानमंत्री मोदी को शनिवार को अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और मिस्र के राष्ट्रपति अब्देल फतह अल-सीसी की ओर से आख़िरी वक्त पर इस बैठक में शामिल होने का निमंत्रण मिला। पीएम मोदी उन 20 से अधिक विश्व नेताओं में शामिल थे जिन्हें ट्रंप और सीसी ने इस बैठक के लिए आमंत्रित किया था।

सम्मेलन में कौन-कौन शामिल हो रहा है?
यह सम्मेलन सोमवार दोपहर आयोजित होगा जिसकी अध्यक्षता राष्ट्रपति सीसी और राष्ट्रपति ट्रंप संयुक्त रूप से करेंगे। इसमें 20 से अधिक देशों के नेताओं के शामिल होने की उम्मीद है, जिनमें जर्मनी के चांसलर फ्रेडरिक मर्ज़, फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों, स्पेन के प्रधानमंत्री पेड्रो सांचेज़ और संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरेस शामिल हैं।

मिस्र के राष्ट्रपति कार्यालय के अनुसार, इस सम्मेलन का मुख्य उद्देश्य ग़ाज़ा में जारी संघर्ष को समाप्त करना, मध्य पूर्व में स्थायी शांति और स्थिरता को बढ़ावा देना तथा क्षेत्रीय सहयोग के एक नए अध्याय की शुरुआत करना है। यह सम्मेलन ट्रंप के मध्य पूर्व शांति प्रस्ताव को आगे बढ़ाने और अंतरराष्ट्रीय तनाव को कम करने की एक कोशिश के रूप में भी देखा जा रहा है।

भारत के लिए एक रणनीतिक अवसर
अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप रविवार को इज़रायल और मिस्र के दौरे पर पहुँचे ताकि अमेरिका की मध्यस्थता में तय हुई युद्ध-विराम और बंधकों की अदला-बदली के समझौते को औपचारिक रूप से चिह्नित किया जा सके। वह क्षेत्रीय नेताओं पर ज़ोर देंगे कि वे इस अवसर का इस्तेमाल कर स्थायी शांति की नींव रखें।

भारत के लिए इस बैठक में शामिल होना एक रणनीतिक अवसर है जिससे वह मध्य पूर्व में अपनी सक्रिय भूमिका को प्रदर्शित कर सके, फ़िलिस्तीनी जनता के समर्थन की पुनः पुष्टि करे और मिस्र के साथ अपने रिश्तों को और मजबूत बनाए।

यह भी उल्लेखनीय है कि 9 अक्टूबर को जब युद्ध-विराम और बंधक समझौते की घोषणा हुई थी, तब प्रधानमंत्री मोदी ने राष्ट्रपति ट्रंप से बात कर इसे ग़ाज़ा में शांति की दिशा में एक बड़ी प्रगति बताया था। यह समझौता मिस्र में हुए अप्रत्यक्ष वार्तालापों का परिणाम था, जो ट्रंप के फ़िलिस्तीनी क्षेत्रों के लिए तैयार किए गए 20 बिंदुओं वाले शांति ढाँचे का हिस्सा था।

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