केजरीवाल को राजनीति में नहीं आना चाहिए था: अन्ना हज़ारे
अहमदनगर (महाराष्ट्र): दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल द्वारा मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देने की घोषणा के बाद समाजसेवी अन्ना हज़ारे ने अपनी नाराज़गी ज़ाहिर की है। अन्ना हज़ारे, जो कि भ्रष्टाचार विरोधी आंदोलन के प्रमुख चेहरा थे, ने कहा कि उन्होंने केजरीवाल को राजनीति में न आने की सलाह बहुत पहले ही दी थी, लेकिन केजरीवाल ने उनकी बात को नज़रअंदाज़ कर दिया। अन्ना ने कहा कि उनका मानना था कि समाज सेवा में ही असली सेवा है, लेकिन केजरीवाल ने उनके सुझाव पर ध्यान नहीं दिया।
अन्ना हज़ारे ने यह भी कहा कि उन्होंने कई मौकों पर केजरीवाल को समझाया था कि राजनीति में आकर सत्ता के खेल में फंसने से बेहतर है कि वह समाज के लिए कार्य करें, जिससे अधिक प्रभावशाली बदलाव लाए जा सकते हैं। उनका मानना है कि राजनीतिक सत्ता प्राप्त करने से भ्रष्टाचार और अन्य समस्याओं का समाधान नहीं होता, बल्कि यह जनता से सीधे जुड़े मुद्दों पर काम करके ही संभव है।
अन्ना हज़ारे और अरविंद केजरीवाल ने साथ मिलकर रामलीला मैदान में भ्रष्टाचार विरोधी आंदोलन का नेतृत्व किया था, जिसने देशभर में एक जनांदोलन का रूप ले लिया था। हालांकि, इसके बाद केजरीवाल ने राजनीतिक पार्टी बनाकर दिल्ली की सत्ता में कदम रखा। इस निर्णय पर अन्ना हज़ारे की नाखुशी पहले भी कई बार सामने आई है। उन्होंने कहा, “केजरीवाल ने मेरी सलाह पर अमल नहीं किया, और अब वह जिस स्थिति में हैं, उससे मैं दुखी हूं।”
अन्ना हज़ारे ने यह भी बताया कि वे राजनीति से हमेशा दूर रहे हैं और उन्होंने हमेशा समाज सेवा को प्राथमिकता दी है। उन्होंने कहा कि राजनीति में आने से मूल उद्देश्य भटक सकता है और इसके दुष्परिणाम आज केजरीवाल के सामने हैं। अन्ना ने यह भी कहा कि वह यह नहीं जान सकते कि अरविंद केजरीवाल के दिल में क्या है, लेकिन उन्हें यह महसूस होता है कि राजनीति में आकर केजरीवाल ने अपने मूल उद्देश्य से समझौता किया है।
यह पहली बार नहीं है जब अन्ना हज़ारे ने केजरीवाल की राजनीतिक गतिविधियों पर अपनी नाराज़गी जाहिर की है। इससे पहले भी जब केजरीवाल ने राजनीतिक पार्टी बनाई थी, तब भी अन्ना ने इस फैसले का विरोध किया था। अन्ना हज़ारे का मानना है कि सत्ता का मोह सामाजिक सेवा की आत्मा को प्रभावित कर सकता है, और यही कारण है कि उन्होंने राजनीति से दूरी बनाए रखी।