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जाट समुदाय ने नूह हिंसा को साजिश क़रार दिया

जाट समुदाय ने नूह हिंसा को साजिश क़रार दिया

जाट समुदाय ने पिछले दिनों मेवात में हुए सांप्रदायिक दंगों को एक साजिश का नतीजा और मेवात के मुसलमानों को अपना भाई बताते हुए खुद को हिंसा से अलग कर लिया है। अमर उजाला की एक रिपोर्ट के मुताबिक, जाटों की इस पहल को खाप पंचायतों का भी समर्थन मिल रहा है। सोशल मीडिया पर जाटों को मुसलमानों के खिलाफ भड़काने के लिए कई संदेश लिखे गए, लेकिन इस समुदाय ने खुद को हिंसा से दूर रखा।

रिपोर्ट के मुताबिक, जाट महासभा के सचिव युद्धवीर सिंह ने कहा, ”जाट समुदाय धर्मनिरपेक्ष है और किसी भी गलत चीज का समर्थन नहीं करेगा। अगर सरकार ने समय पर कार्रवाई की होती तो मेवात हिंसा से बचा जा सकता था। सोशल मीडिया पर भड़काऊ वीडियो पोस्ट करने वाले मोनू मानेसर के खिलाफ सरकार ने कार्रवाई क्यों नहीं की?”

याद रखें कि जाट समुदाय ने अब तक बीजेपी का समर्थन किया था और 2019 के लोकसभा चुनाव में पार्टी ने सभी 10 सीटों पर यहां से जीत दर्ज की थी। हालांकि, किसान आंदोलन के दौरान जिस तरह से जाट समुदाय पर आरोप लगाए गए, उसे लेकर वह नाराज़ हैं।

इसके बाद जब महिला पहलवानों ने जंतर-मंतर पर विरोध प्रदर्शन किया तब भी जाट समुदाय को निशाना बनाया गया। इसका नतीजा यह हुआ कि सोशल मीडिया पर प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से मेवात में हिंदुओं के समर्थन के संदेशों और बजरंग दल द्वारा मदद की अपील के बावजूद जाटों ने मेवात में बजरंग दल और विहिप का समर्थन करने से साफ इनकार कर दिया।

इस बीच, हरियाणा के उप मुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला और गुरुग्राम से भाजपा लोकसभा सांसद राव इंद्रजीत ने भी हिंदू संगठनों की बृज मंडल यात्रा पर सवाल उठाकर अप्रत्याशित रूप से नफरत की राजनीति की हवा निकाल दी।

दुष्यंत चौटाला ने कहा कि नूह में यात्रा के आयोजकों ने प्रशासन को यह जानकारी नहीं दी थी कि इसमें कितने लोग शामिल होंगे। वहीं राव इंद्रजीत सिंह ने कहा कि ऐसी यात्रा में हथियार लेकर कौन जाता है? इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता कि एक समुदाय ने भड़काने वाला कार्य किया है।

जाट समुदाय के कड़े रुख के बाद सोशल मीडिया पर मेवात हिंसा में मारे गए लोगों के नाम और जाति के नाम सामने आने लगे। मुजफ्फरनगर दंगों की याद दिलाते हुए इन समुदायों को भड़काने की कोशिश की गई। हालांकि, जाट समुदाय के युवाओं ने लिखा, ”आज मेवात में हमसे मदद मांगने वालों ने किसान आंदोलन के समय हमें टुकड़े-टुकड़े गैंग, टूल किट और खालिस्तानी का खिताब दिया था। ठोकर खाने के बाद ही अक्ल आती है!

सोशल मीडिया पर लिखा गया, ”जाट समाज के युवा इस फॉर्मूले को अच्छी तरह से समझ चुके हैं कि, जब मुसलमानों के सामने लड़ाई होती है तो उन्हें जाट हिंदू बना दिया जाता है और जब वह अपना अधिकार या न्याय मांगते हैं तो उन्हें जाट हिंदू बना दिया जाता है। उन्हें तुरंत देशद्रोही, खालिस्तानी या आतंकवादी करार दे दिया जाता है! चुनाव से पहले एक बार फिर मुजफ्फरनगर जैसा माहौल बनाने की कोशिश की गई है, जाट युवा अतीत को नहीं भूले हैं। वह अपना भला-बुरा अच्छे से समझते हैं।

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