ISCPress

संभल जैसे हादसे को रोकने के लिए जमीयत उलेमा सुप्रीम कोर्ट पहुंची

संभल जैसे हादसे को रोकने के लिए जमीयत उलेमा सुप्रीम कोर्ट पहुंची

संभल जैसी घटनाओं के सामने आने के बाद जमीयत उलेमा-ए-हिंद ने सुप्रीम कोर्ट से इस महत्वपूर्ण मामले की जल्द से जल्द सुनवाई करने की गुजारिश की है। वहीं, मौलाना अरशद मदनी ने संभल जैसी दुखद घटना पर कहा कि पूजा स्थलों की सुरक्षा और क़ानून का सही तरीके से पालन न होने की वजह से देश का अमन-चैन खराब हो रहा है।

जमीयत उलेमा-ए-हिंद द्वारा जारी एक प्रेस विज्ञप्ति के अनुसार, पूजा स्थलों की सुरक्षा कानून का पालन न होने के कारण संभल जैसी घटनाएं भारत में हो रही हैं, जिन्हें रोकना बेहद जरूरी है। पूजा स्थलों के लिए सुरक्षा कानून 1991 होने के बावजूद निचली अदालतें मुस्लिम पूजा स्थलों के सर्वे का आदेश दे रही हैं, जो इस कानून का उल्लंघन है।

गौरतलब है कि पूजा स्थलों की सुरक्षा कानून की रक्षा और इसके प्रभावी क्रियान्वयन के लिए जमीयत उलेमा-ए-हिंद ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी, लेकिन पिछले एक साल से इस पर सुनवाई नहीं हो पाई है। पूर्व चीफ जस्टिस डॉ. डी.वाई. चंद्रचूड़ ने इस मामले पर सुनवाई करने के बजाय केंद्र सरकार को हलफनामा दाखिल करने के लिए बार-बार समय दिया था, जिसके कारण इस मामले में देरी हुई।

लेकिन अब संभल जैसी घटना के बाद जमीयत उलेमा-ए-हिंद ने सुप्रीम कोर्ट से इस मामले पर जल्द से जल्द सुनवाई करने की मांग की है। एडवोकेट ऑन रिकॉर्ड एजाज मकबूल ने सुप्रीम कोर्ट के रजिस्ट्रार को एक पत्र लिखकर इस महत्वपूर्ण मामले को चीफ जस्टिस के सामने रखने की अपील की है।

जमीयत उलेमा-ए-हिंद के अध्यक्ष मौलाना अरशद मदनी ने संभल जैसी अमानवीय घटना पर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि, संभल में पुलिस फायरिंग और अत्याचार का शिकार हुए लोगों के साथ जमीयत उलेमा इस मुश्किल समय में मजबूती से खड़ी है। उन्होंने पुलिस फायरिंग की कड़ी निंदा करते हुए कहा कि पुलिस के अत्याचारों की एक लंबी फेहरिस्त है। चाहे वह मुरादाबाद हो, हाशिमपुरा, हल्द्वानी या अब संभल, हर जगह पुलिस का एक ही रवैया नजर आता है।

मौलाना मदनी ने कहा कि पुलिस का काम क़ानून-व्यवस्था बनाए रखना है, लेकिन अफसोस कि पुलिस क़ानून का रखवाला बनने के बजाय अल्पसंख्यकों, खासकर मुसलमानों के साथ पक्षपात करती है।

जमीयत उलेमा का संभल दौरा
मौलाना महमूद असद मदनी के निर्देश पर जमीयत उलेमा-ए-हिंद के महासचिव मौलाना हकीमुद्दीन क़ासमी के नेतृत्व में एक प्रतिनिधिमंडल ने संभल की प्रमुख हस्तियों से मुलाकात की और हालिया पुलिस फायरिंग की घटनाओं पर नाराजगी जाहिर की। प्रतिनिधिमंडल ने पुलिस अधिकारियों से भी मुलाकात कर निर्दोष लोगों की गिरफ्तारी पर आपत्ति जताई और दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग की।

प्रतिनिधिमंडल ने सरकार से निष्पक्ष जांच कराने और पीड़ितों को 50 लाख रुपये का मुआवजा देने की भी अपील की। इस प्रतिनिधिमंडल में मौलाना ग़यूर अहमद कासमी, मौलाना अलाउद्दीन कासमी, मौलाना जिया उल्लाह कासमी, और एडवोकेट मिर्जा आकिब बेग सहित कई अन्य सदस्य शामिल थे।

प्रतिनिधिमंडल को बताया गया कि संभल में जामा मस्जिद के सर्वे के दौरान पुलिस की फायरिंग में पांच मुसलमानों की मौत हो गई और इसके बाद पुरुषों व महिलाओं की बड़े पैमाने पर गिरफ्तारी हुई, जिसने देश की कानून व्यवस्था को शर्मसार कर दिया है।

मौलाना मदनी का संदेश
मौलाना मदनी ने कहा कि देश के संविधान और कानून में किसी भी नागरिक के साथ धर्म के आधार पर भेदभाव की इजाजत नहीं है। उन्होंने कहा कि न्याय के दोहरे मापदंडों से केवल अशांति और विनाश का रास्ता खुलता है। संभल की घटना क़ानूनहीनता, अन्याय और अत्याचार की जिंदा तस्वीर है। यह घटना इस बात का संकेत है कि पक्षपाती राजनीति ने देश को कहां ला खड़ा किया है। वर्षों से फैलाई गई नफरत अब गोलियों तक पहुंच गई है।

Exit mobile version