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“क्या ‘वोटों का धर्म युद्ध’ वाला बयान आचार संहिता का उल्लंघन नहीं?: उद्धव

“क्या ‘वोटों का धर्म युद्ध’ वाला बयान आचार संहिता का उल्लंघन नहीं?: उद्धव

महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव 20 नवंबर को होने वाले हैं। जैसे-जैसे चुनाव की तारीख नज़दीक आ रही है, राजनीतिक गतिविधियां तेज़ होती जा रही हैं। तमाम राजनीतिक दल अपनी रणनीतियां तैयार कर रहे हैं और मतदाताओं को लुभाने के लिए रैलियों और बयानों का सहारा ले रहे हैं। इस बीच, शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे ने एक बार फिर भाजपा और उसके नेताओं पर हमला बोला है।

डोंबिवली में एक चुनावी रैली को संबोधित करते हुए उद्धव ठाकरे ने महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस के बयान “वोटों का धर्म युद्ध” पर सवाल उठाया। ठाकरे ने कहा, “क्या यह बयान चुनाव आयोग की आदर्श आचार संहिता का उल्लंघन नहीं है?” उन्होंने सीधे तौर पर चुनाव आयोग से पूछा कि क्या “धर्म युद्ध” जैसे शब्दों का उपयोग चुनाव प्रचार में करना जायज है। ठाकरे ने कहा, “हमारा हिंदुत्व लोगों के घरों में चूल्हे जलाता है, जबकि भाजपा का हिंदुत्व उन्हें जला कर राख कर देता है। देश को इस तरह के हिंदुत्व की कोई जरूरत नहीं है।”

हिंदुत्व और चुनावी नारों पर तीखी टिप्पणी
उद्धव ठाकरे ने आरोप लगाया कि लोकसभा चुनाव से पहले शिवसेना पर दबाव डाला गया था कि वह अपने चुनावी नारे “जय भवानी, जय शिवाजी” से इन शब्दों को हटा दे। लेकिन उन्होंने ऐसा करने से इनकार कर दिया। यह बयान भाजपा के साथ उनके पुराने गठबंधन के टूटने और शिवसेना के स्वतंत्र रूप से अपनी विचारधारा को स्थापित करने की दिशा में एक स्पष्ट संकेत है।

ठाकरे ने भाजपा को “अवसरवादी नेताओं की पार्टी” करार देते हुए कहा कि यह पार्टी अब उन नेताओं से भरी हुई है जो बाहर से आए हैं और केवल अपने स्वार्थ के लिए काम कर रहे हैं। उन्होंने कहा, “वह भाजपा, जो कभी अपने कार्यकर्ताओं के त्याग और समर्पण से बनी थी, अब एक ‘हाइब्रिड’ पार्टी बन गई है, जो अवसरवादी नेताओं की प्रजनन भूमि बन चुकी है।”

ठाकरे ने मतदाताओं से अपील करते हुए कहा कि भाजपा को वोट देना मतलब ऐसे नेताओं को बढ़ावा देना है जो केवल अपने निजी हित साधते हैं। उन्होंने साफ शब्दों में कहा, “भाजपा को वोट न दें, यह पार्टी न केवल स्वार्थी है, बल्कि जनता के हितों की अनदेखी भी करती है।”

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