ईरान ने ट्रंप की तीनों शर्तों को “अतार्किक और अस्वीकार्य” बताया
ईरान की संसद की क़ानूनी और न्यायिक समिति के सदस्य मोज़तबा ज़ोलनूरी ने सऊदी अरब के क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान के हवाले से पुष्टि की है कि, पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने ईरान के साथ संभावित समझौते के लिए तीन मुख्य शर्तें रखी थीं। ज़ोलनूरी के अनुसार, इनमें से कोई भी शर्त तार्किक नहीं है और न ही इन्हें स्वीकार किया जा सकता है।
ख़बर ऑनलाइन द्वारा प्रकाशित बयान के अनुसार, ज़ोलनूरी ने बताया कि, ट्रंप की पहली शर्त:
1- ईरान की धरती पर परमाणु संवर्धन को पूरी तरह शून्य कर देना है।
2- दूसरी शर्त यह है कि ईरान प्रतिरोध मोर्चे और क्षेत्रीय सहयोगियों के साथ अपने हर प्रकार के समर्थन और संबंधों को समाप्त करे।
3- तीसरी शर्त देश की मिसाइल क्षमता को सीमित करते हुए मिसाइलों की मारक दूरी को 300 किलोमीटर से नीचे लाना है।
उनके अनुसार, इन शर्तों का उद्देश्य किसी संतुलित समझौते की ओर बढ़ना नहीं, बल्कि ईरान को रणनीतिक रूप से कमज़ोर बनाना है। उन्होंने कहा कि बातचीत का आधार आपसी लेन-देन पर होना चाहिए, न कि भय, दबाव या पहले से थोपे गए फैसलों पर। उनका कहना था कि अमेरिका उन समझौतों पर भी स्थिर नहीं रहता जिन पर वह स्वयं हस्ताक्षर कर चुका है, इसलिए इस प्रकार की शर्तें ईरान के लिए किसी रूप में स्वीकार्य नहीं हैं।
ज़ोलनूरी ने कहा कि, मिसाइल क्षमता ईरान की राष्ट्रीय सुरक्षा का मुख्य स्तंभ है और इसे कम करने की मांग मूल रूप से देश को असुरक्षित बनाने की दिशा में है। उनके शब्दों में, “जब अन्य देश पूरी तरह हथियारबंद रहें, तो ईरान के निहत्थे होने की अपेक्षा करना न्यायसंगत नहीं है।” उन्होंने यह भी कहा कि यदि अमेरिका, इज़रायल को अपना समर्थन देना बंद कर दे, तो स्वयं ही ढह जाएगा, इसलिए ईरान की रक्षात्मक क्षमताओं पर सवाल उठाना किसी रूप में तर्कसंगत नहीं।
उन्होंने दोहराया कि ईरान अपनी सुरक्षा, क्षेत्रीय साझेदारियों और रणनीतिक क्षमताओं से जुड़े मुद्दों पर किसी भी प्रकार की एकतरफा या दबावपूर्ण शर्तें स्वीकार नहीं करेगा।

