भारतीय छात्र सलाह को हल्के में लेने के कारण फंसे : फडणवीस

भारतीय छात्र सलाह को हल्के में लेने के कारण फंसे : फडणवीस

यूक्रेन में फंसे भारतीय छात्रों पर मुश्किल का ठीकरा फोड़ते हुए भाजपा के दिग्गज नेता एवं महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने कहा है कि छात्रों ने भारत सरकार की एडवाइजरी को हल्के में लिया जिस कारण आज वह मुश्किलों में फंसे हुए हैं।

फडणवीस ने कहा कि छात्रों ने यूक्रेन से निकलने में समय का गलत अनुमान लगाया। सरकार तो रूसी हमलों से पहले ही छात्रों को यूक्रेन से निकल जाने के लिए हिदायत दे चुकी थी। विदेश राज्य मंत्री वी मुरलीधरन ने भी कहा है कि सरकार की एडवाइजरी के बाद भी छात्रों ने यूनिवर्सिटी को नहीं छोड़ा।

रूस यूक्रेन युद्ध के सातवें दिन भी भारत सरकार यूक्रेन में फंसे छात्रों की वापसी के लिए भरसक प्रयास कर रही है। भारतीय छात्रों को लेकर इससे पहले भी भाजपा नेता गैर जिम्मेदाराना बयान देते रहे हैं। अब देवेंद्र फडणवीस ने भी जिम्मेदाराना बयान देते हुए कहा है कि छात्र स्थिति की गंभीरता को नहीं समझ सके। जिस कारण आज वह संकट में फंसे हुए हैं और भारत सरकार की सहायता की प्रतीक्षा कर रहे हैं।

बता दें कि इससे पहले भी भाजपा के वरिष्ठ नेता प्रहलाद जोशी ने संकट में फंसे भारतीय छात्रों के बारे में विवादित टिप्पणी करते हुए कहा था कि विदेशों में मेडिकल की पढ़ाई करने वाले छात्रों में से 99 प्रतिशत छात्रों के पास भारत में उच्च शिक्षा हासिल करने की योग्यता नहीं। यूक्रेन या अन्य देश जाने वाले 90 फीसद छात्र यहां NEET एवं प्रतियोगिता परीक्षा में विफल रहते हैं जिस कारण बाहर शिक्षा के लिए जाते हैं।

प्रह्लाद जोशी के बयान पर मचा घमासान अभी थमा भी नहीं था कि महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री ने संकट में फंसे छात्रों पर ही हालात का दोष डालकर एक नए विवाद को जन्म दे दिया है। उन्होंने कहा कि छात्रों ने यूक्रेन से निकलने के समय का गलत अनुमान लगाया। केंद्र सरकार तो रूस के हमले से पहले ही उनको निकलने की सलाह दे चुकी थी। सरकार की एडवाइजरी पर ध्यान न देने के कारण छात्र इस संकट में फंसे हैं।

केंद्रीय विदेश राज्य मंत्री वी मुरलीधर ने भी कहा कि भारतीय छात्र हमारी एडवाइजरी के बाद भी यूनिवर्सिटी छोड़ना नहीं चाहते थे। वह ऑनलाइन कक्षाओं के लिए तैयार नहीं थे। बता दें कि यूक्रेन में इस समय भी लगभग 15,000 से अधिक भारतीय छात्र फंसे हुए हैं।

सूत्रों के अनुसार भारत के मुकाबले यूक्रेन में मेडिकल की पढ़ाई करना कई गुना आसान एवं सस्ता है। कहा जाता है कि यूक्रेन में 25 से ₹300000 में मेडिकल शिक्षा मिल जाती है। भारत से अधिकांश छात्र मेडिकल की पढ़ाई के लिए ही यूक्रेन जाते हैं। भारत के प्राइवेट कॉलेज में मेडिकल की पढ़ाई का खर्च एक से डेढ़ करोड़ रुपए आता है ऐसे में निम्न मध्यम आय वर्ग के लोग अपने बच्चों को यूक्रेन में मेडिकल शिक्षा दिलाते हैं।

 

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