महाराष्ट्र में सरकारी नीति के विरोध में गठबंधन के नेता, विधायक के साथ उपसभापति बिल्डिंग के तीसरे फ्लोर से कूद गए
महाराष्ट्र में सरकार की नीतियों के ख़िलाफ़ गठबंधन के ही नेता विरोध में उतर आए हैं। दरअसल पीईएसए के तहत अधिसूचित अनुसूचित जनजाति के उम्मीदवारों की नियुक्ति बंद करने और विधानसभा चुनावों से पहले धनगरों को अनुसूचित जनजाति का दर्जा देने का विरोध हो रहा है। यहाँ तक कि गठबंधन के नेता, विधायक के साथ ही उपसभापति विरोध जताने के लिए मंत्रालय बिल्डिंग के तीसरे फ्लोर से कूद गए। हालाँकि, बिल्डिंग में नेट लगा हुआ था इस वजह से उन्हें किसी तरह की चोट नहीं लगी।
सत्तारूढ़ गठबंधन के सबसे वरिष्ठ आदिवासी विधायकों में से एक, उपसभापति, एनसीपी विधायक नरहरि जिरवाल सहित कई आदिवासी विधायकों ने मंत्रालय में लगाए गए सुरक्षा जाल पर कूदकर विरोध जताया। महाराष्ट्र के उपसभापति नरहरि जिरवाल के साथ ही तीन अन्य विधायकों ने यह क़दम उठाया। वे एक मंजिल नीचे एक जाल पर सुरक्षित रूप से गिरे, जिसे 2018 में सचिवालय में आत्महत्या के प्रयासों को रोकने के लिए लगाया गया था। इस भवन को मंत्रालय कहा जाता है।
वीडियो में तीनों विधायकों को जाल पर उतरने के बाद वापस इमारत में चढ़ते हुए देखा जा सकता है। अधिकारियों ने कहा कि उनमें से किसी को भी कोई चोट नहीं आई। जिरवाल को तीसरी मंजिल से छलांग लगाने के बाद पुलिस ले गई। जिरवाल के साथ-साथ भाजपा सांसद हेमंत सावरा, विधायक किरण लहामाटे, हीरामन खोसकर और राजेश पाटिल भी सुरक्षा घेरे में लिए गए।
आदिवासी विधायक पंचायत (अनुसूचित क्षेत्रों में विस्तार) (पेसा) अधिनियम 1996 के तहत सरकारी नौकरियों में आदिवासियों की भर्ती की मांग को लेकर विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं। टीओआई की रिपोर्ट के अनुसार उन्होंने कहा कि अक्टूबर 2023 से पेसा में 17 विभिन्न श्रेणियों में आदिवासियों की भर्ती की प्रक्रिया राज्य सरकार के स्तर पर ठप पड़ी हुई है। उन्होंने कहा कि इन महीनों में शिक्षकों, वन रक्षकों और राजस्व और स्वास्थ्य विभाग में विभिन्न अन्य पदों के लिए भर्तियां हुई हैं।