नागपुर में 95 हजार महिलाओं की “लाड़ली बहन योजना” की मासिक क़िस्त संकट में
नागपुर ज़िले में “लाड़ली बहन योजना” से लाभ उठाने वाली 95 हजार महिलाएँ मुश्किल में हैं। अयोग्य घोषित की गई इन महिलाओं को हर महीने मिलने वाली 1500 रुपये की राशि रोक दी गई है। ज़िला महिला एवं बाल विकास विभाग को यह सूची प्राप्त हुई है और विभाग ने इसकी जांच शुरू कर दी है।
ज्ञात रहे कि विधानसभा चुनावों से पहले राज्य सरकार ने यह योजना महिलाओं को आर्थिक स्वतंत्रता देने, उनके स्वास्थ्य और पोषण को बेहतर बनाने तथा परिवार में उनके निर्णायक भूमिका को मजबूत करने के उद्देश्य से शुरू की थी। कहा जाता है कि इसी योजना के आधार पर महायुति को विधानसभा चुनावों में स्पष्ट बहुमत मिला। हालांकि अब इस योजना के पात्र और अपात्र लाभार्थियों का सर्वे शुरू कर दिया गया है। कौन पात्र है और कौन अपात्र, इसकी जांच की जा रही है। इनमें से 8 हजार महिलाएँ अपात्र पाई गई हैं। बाकी आवेदनों की जाँच जारी है।
ज़िला महिला एवं बाल विकास अधिकारी सुनील मेश्राम ने बताया कि जिन लोगों के नाम आर्थिक स्थिति बेहतर होने के बावजूद सूची में शामिल थे, उनकी जानकारी राज्य सरकार को भेजी जा रही है। उन्होंने यह भी कहा कि ई-केवाईसी करने की आखिरी तारीख अब 31 दिसंबर तक बढ़ा दी गई है।
ध्यान रहे कि “लाड़ली बहन योजना” का लाभ 21 से 65 वर्ष की उन महिलाओं को दिया जाना था जिनकी वार्षिक पारिवारिक आय ढाई लाख रुपये से कम हो। लेकिन इसी मामले में गड़बड़ी हुई। बैंक खाते को आधार कार्ड और पैन कार्ड से जोड़ा जाना आवश्यक था या आयकर विभाग को पैन कार्ड के आधार पर वित्तीय लेनदेन की जाँच करनी चाहिए थी। आवेदन स्वीकार करते समय इन बिंदुओं को देखा जाना चाहिए था।
दिलचस्प बात यह है कि इस योजना का लाभ पुरुषों ने भी उठाया। इसके अलावा यह भी सामने आया कि वे महिलाएँ जो सरकारी कर्मचारी हैं, जो संजय गांधी निराधार योजना की लाभार्थी हैं और जिनकी उम्र 65 वर्ष से अधिक है, उन्होंने भी इस योजना का लाभ लिया। एक परिवार से केवल एक ही महिला को लाभ मिलना था, लेकिन इस नियम का भी उल्लंघन किया गया। योजना में तय नियमों को सख्ती से लागू करने की आवश्यकता थी।

