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इलाहाबाद हाईकोर्ट के जज शेखर यादव के खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव पेश

इलाहाबाद हाईकोर्ट के जज शेखर यादव के खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव पेश

इलाहाबाद हाईकोर्ट के जज, जस्टिस शेखर कुमार यादव पर महाभियोग चलाने का प्रस्ताव शुक्रवार को राज्यसभा महासचिव को सौंपा गया। प्रस्ताव पर 55 राज्यसभा सांसदों ने हस्ताक्षर किए, जो महाभियोग प्रस्ताव लाने के लिए आवश्यक 50 सांसदों की सीमा से अधिक है। कपिल सिब्बल के नेतृत्व में एक प्रतिनिधिमंडल ने महाभियोग प्रस्ताव प्रस्तुत किया। प्रतिनिधिमंडल में सांसद विवेक तन्खा, दिग्विजय सिंह, पी. विल्सन, जॉन ब्रिटास और के.टी.एस. तुलसी शामिल थे।

भारत के संविधान के अनुच्छेद 217(1)(बी) और अनुच्छेद 218 के साथ अनुच्छेद 124(4) और 124(5) के तहत, एक जज को न्यायिक नैतिकता, निष्पक्षता और सार्वजनिक मुद्दों को कमजोर करने वाले कार्यों के आधार पर पद से हटाया जा सकता है। ताकि न्यायपालिका पर लोगों का भरोसा कायम रह सके।

जस्टिस यादव अभी तक रेप और यौन अपराध मामलों से संबंधित ‘प्रमुख’ जमानत अर्जियों को देख रहे थे। उनका मौजूदा रोस्टर 15 अक्टूबर को लागू किया गया था। लेकिन अब 16 दिसंबर से उन्हें नए रोस्टर के मुताबिक काम करना होगा।जस्टिस यादव को दिसंबर 2019 में हाईकोर्ट का अतिरिक्त जज और मार्च 2021 में स्थायी जज नियुक्त किया गया था। जस्टिस यादव ने अपने अधिकांश कार्यकाल के दौरान मुख्य रूप से जमानत और आपराधिक मामलों को निपटाया है। वो मार्च 2026 में रिटायर होने वाले हैं।

जस्टिस यादव को दिसंबर 2019 में इलाहाबाद हाईकोर्ट का अतिरिक्त जज और मार्च 2021 में स्थायी जज नियुक्त किया गया था। जस्टिस यादव ने अपने अधिकांश कार्यकाल के दौरान मुख्य रूप से जमानत और आपराधिक मामलों को निपटाया है। वो मार्च 2026 में रिटायर होने वाले हैं।

बता दें कि, जस्टिस यादव ने कहा कि वह “शपथ ले रहे हैं” कि जल्द ही देश में समान नागरिक संहिता लागू की जाएगी। उन्होंने राम लल्ला को मुक्त देखने और एक भव्य भगवान राम मंदिर के निर्माण का गवाह बनने के लिए ‘पूर्वजों’ द्वारा किए गए ‘बलिदान’ को याद किया। उन्होंने मुस्लिमों के लिए ‘कठमुल्ला’ शब्द का इस्तेमाल किया। जस्टिस यादव ने यह भी टिप्पणी की कि मुस्लिम बच्चों से दया और सहनशीलता की उम्मीद नहीं की जा सकती है, जब वे कम उम्र से ही अपने सामने जानवरों का वध किए जाने का दृश्य देखते हैं।

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