हरियाणा चुनाव नतीजों का असर, शिवसेना (यूबीटी) ने मुख्यमंत्री घोषित करने की मांग की
हरियाणा विधानसभा चुनाव के नतीजे सामने आते ही शिवसेना (उद्धव) ने अपना रुख सख्त कर लिया है। पार्टी प्रमुख उद्धव ठाकरे ने एक बार फिर मांग की है कि कांग्रेस और एनसीपी जल्द से जल्द मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार का नाम घोषित करें। वहीं शिवसेना (उद्धव) के प्रवक्ता संजय राउत ने अपने अखबार ‘सामना’ में एक लंबा संपादकीय लिखा है, जिसमें उन्होंने कांग्रेस पर तंज कसा है कि “कांग्रेस को जीती हुई बाज़ी हारने की कला बखूबी आती है।”
ध्यान देने वाली बात यह है कि सभी सर्वे और चुनाव विशेषज्ञों के साथ-साथ हरियाणा के लोगों का भी मानना था कि इस बार बीजेपी को हार का सामना करना पड़ेगा और कांग्रेस अपने दम पर या अन्य दलों की मदद से सरकार बनाएगी। लेकिन नतीजे आने पर पता चला कि बीजेपी को हरियाणा में स्पष्ट बहुमत मिल गया है। मंगलवार को जब नतीजों की घोषणा हो रही थी, उस समय उद्धव ठाकरे मुंबई में एक जनसभा को संबोधित कर रहे थे, जहां उन्होंने कहा, “मैं यह बात पहले भी कह चुका हूं और आज फिर दोहराता हूं कि कांग्रेस और एनसीपी विधानसभा चुनाव से पहले मुख्यमंत्री के नाम की घोषणा करें। आप जिसका भी नाम घोषित करेंगे, मैं उसका समर्थन करूंगा क्योंकि मुझे महाराष्ट्र प्रिय है।”
उन्होंने कहा, “महाराष्ट्र को बचाने के लिए यह कदम जरूरी है। मैं महाराष्ट्र को बचाने के लिए कुछ भी करने को तैयार हूं।” उद्धव ठाकरे ने इस मौके पर देवेंद्र फडणवीस पर तंज कसते हुए कहा, “मुझे यह कहने की कोई इच्छा नहीं है कि ‘मैं फिर आऊंगा’, लेकिन यह जरूरी है कि महाविकास अघाड़ी मुख्यमंत्री के चेहरे की घोषणा करे।” यह ध्यान देने वाली बात है कि उद्धव ठाकरे कई बार कह चुके हैं कि महा विकास अघाड़ी को अपनी ओर से मुख्यमंत्री पद के लिए उम्मीदवार के नाम की घोषणा करनी चाहिए।
उन्होंने यह भी कहा है कि कांग्रेस और एनसीपी किसी भी नाम की घोषणा करें, वह उसका समर्थन करेंगे। लेकिन कांग्रेस और एनसीपी दोनों ने यह कह दिया है कि चुनाव के बाद जिस पार्टी को सबसे ज्यादा सीटें मिलेंगी, उसी पार्टी का मुख्यमंत्री होगा। अब जबकि हरियाणा चुनाव के नतीजे कांग्रेस के खिलाफ आए हैं, कांग्रेस पर दबाव बढ़ गया है। कहा जा रहा है कि उद्धव ठाकरे का यह बयान कांग्रेस पर दबाव डालने की एक और कोशिश है।
कांग्रेस को जीती हुई बाज़ी हारने की कला बखूबी आती है
उद्धव ठाकरे ने अपनी स्पीच में कहीं भी कांग्रेस की आलोचना नहीं की, लेकिन जिस बात से कांग्रेस इनकार कर चुकी है, उसे दोहराकर उन्होंने साफ कर दिया कि अब वह दबाव में नहीं हैं। दूसरी तरफ उनकी पार्टी के प्रवक्ता संजय राउत ने अखबार ‘सामना’ में संपादकीय लिखकर कांग्रेस पर तंज कसा है। उन्होंने लिखा है, “हरियाणा में स्थिति अनुकूल थी, लेकिन कांग्रेस इसका फायदा नहीं उठा सकी। कांग्रेस के साथ अक्सर ऐसा ही होता है। कांग्रेस की आंतरिक कलह ने बीजेपी की राह आसान कर दी।”
राउत ने लिखा है, “क्या भूपेंद्र हुड्डा ने वहां कांग्रेस की नाव डुबो दी? यह सवाल उठाया जा सकता है क्योंकि हुड्डा ने कहा था कि वह खुद तय करेंगे कि किसे क्या जिम्मेदारी देनी है। कुमारी शैलजा जैसी महिला नेता का सार्वजनिक रूप से अपमान किया गया था और कांग्रेस हाईकमान हुड्डा को रोक नहीं पाया।” अखबार में लिखा गया है कि “हरियाणा में बीजेपी विरोधी लहर थी, उम्मीद थी कि इसमें पूरी पार्टी बह जाएगी। किसानों ने बीजेपी के खिलाफ प्रदर्शन किया था, महिला पहलवानों के साथ हुई ज्यादती के कारण लोग नाराज़ थे, लेकिन ऐसा कुछ नहीं हुआ।”
राउत का कहना है कि “कांग्रेस को यह समझना चाहिए कि संगठन को जमीनी स्तर पर मजबूत होना जरूरी होता है। बीजेपी के लिए यह मानना होगा कि उसने जमीन पर डटकर मुकाबला किया, उसका संगठन मजबूत था।”
नाना पटोले की संजय राउत पर आलोचना
इस बीच, मीडिया ने जब कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष नाना पटोले से सवाल किया तो उन्होंने कहा, “हरियाणा और महाराष्ट्र की स्थिति अलग-अलग है। यह ज्योतिबा फुले और डॉ. अंबेडकर के विचारों वाली धरती है। संजय राउत ने ऐसा क्यों लिखा, यह मुझे नहीं पता, लेकिन अपने सहयोगियों की इस तरह सार्वजनिक रूप से आलोचना करना उचित नहीं है।” उन्होंने कहा, “संजय राउत के बयान पर हमें आपत्ति है। हमें यकीन है कि लोकसभा के मुकाबले विधानसभा चुनाव में हमारा प्रदर्शन बेहतर होगा। हम यहां बीजेपी को हराने में कामयाब होंगे।”