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खाद्य पदार्थों की कीमतों का असर, जुलाई में थोक महंगाई में गिरावट आई

खाद्य पदार्थों की कीमतों का असर, जुलाई में थोक महंगाई में गिरावट आई

देश में थोक महंगाई दर जुलाई में 0.24% घटकर तीन महीने के निचले स्तर पर आ गई है। इसकी मुख्य वजह खाद्य वस्तुओं, विशेष रूप से सब्जियों की कीमतों में नरमी थी। यह जानकारी बुधवार को जारी किए गए सरकारी आंकड़ों से मिली है। होलसेल प्राइस इंडेक्स (डब्ल्यूपीआई) के आधार पर महंगाई जुलाई में कम हुई है, जबकि जून तक लगातार चार महीने तक इसमें वृद्धि हुई थी। जून में यह 3.36% थी। पिछले साल जुलाई में इसमें 1.23% की कमी आई थी।

आंकड़ों के अनुसार, जुलाई में खाद्य महंगाई 3.45% रही जो जून में 10.87% थी। इसकी मुख्य वजह सब्जियों, अनाज, दालों और प्याज की कीमतों में मासिक गिरावट थी। जुलाई में सब्जियों की कीमतों में 8.93% की गिरावट आई है जबकि जून में इनमें 38.76% की वृद्धि हुई थी। वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय ने एक बयान में कहा कि “जुलाई 2024 में महंगाई में कमी का मुख्य कारण खाद्य वस्तुओं की कीमतों में नरमी, खाद्य उत्पादों का निर्माण, खनिज तेल, कच्चा पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस, अन्य विनिर्माण आदि थे।”

निर्मित उत्पाद समूह के लिए मुद्रास्फीति की वार्षिक दर जून 2024 में 1.43% से बढ़कर जुलाई 2024 में 1.58% हो गई। ईंधन और बिजली की महंगाई की वार्षिक दर जून 2024 में 1.03% से बढ़कर 1.72% हो गई।

आईसीआरए एजेंसी के वरिष्ठ अर्थशास्त्री राहुल अग्रवाल ने कहा कि “मूल (नॉन-फूड मैन्युफैक्चरिंग) डब्ल्यूपीआई लगातार पांचवें महीने बढ़ता रहा, जो जुलाई 2024 में 1.2% की 17 महीने की उच्चतम स्तर को छू गया, हालांकि सूचकांक में लगातार दूसरे महीने के लिए गिरावट दर्ज की गई।” जुलाई में थोक मूल्य सूचकांक में गिरावट इसी महीने के खुदरा मुद्रास्फीति के आंकड़ों के अनुरूप थी। इस सप्ताह की शुरुआत में जारी आंकड़ों के अनुसार, जुलाई में खुदरा मुद्रास्फीति 3.54% की पांच साल के निचले स्तर पर आ गई थी।

संजय अग्रवाल, अध्यक्ष, पीएचडी चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री ने कहा कि “भविष्य में, हम उम्मीद करते हैं कि थोक मूल्य सूचकांक की मुद्रास्फीति में लगातार सुधार से उत्पादन की लागत में कमी आएगी और देश में खपत की मांग में वृद्धि होगी।” भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) मौद्रिक नीति बनाते समय मुख्य रूप से खुदरा मुद्रास्फीति को ध्यान में रखता है। अगस्त की मौद्रिक नीति समीक्षा में आरबीआई ने लगातार नौवीं बार नीति दर को 6.5% पर बनाए रखा था।

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