कांग्रेस भाजपा को हराना चाहती है, तो उसे सबको साथ लेकर चलना होगा: ओवैसी
ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहाद-उल-मुस्लिमीन (AIMIM) के प्रमुख और हैदराबाद से सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने कांग्रेस को भाजपा को हराने के लिए महत्वपूर्ण सुझाव दिए हैं। उन्होंने कहा कि कांग्रेस को केवल अपने दम पर भाजपा को हराने की कोशिश करने के बजाय, अन्य दलों और समूहों को साथ लेकर चलने की आवश्यकता है। यह बयान उन्होंने तेलंगाना के वकाराबाद में एक जनसभा के दौरान दिया, जहां उन्होंने कांग्रेस की रणनीति पर खुलकर टिप्पणी की।
सभी को साथ लेकर चलने की सलाह
ओवैसी ने अपने भाषण में कांग्रेस को यह सुझाव दिया कि अगर वह भाजपा को हराना चाहती है, तो उसे “सभी को साथ लेकर चलने” की नीति अपनानी होगी। उन्होंने संकेत दिया कि एक व्यापक गठबंधन और सहयोग की जरूरत है, जिससे विभिन्न समूहों और राजनीतिक दलों की एकता से भाजपा को चुनौती दी जा सके। उनके अनुसार, कांग्रेस अब इतनी मजबूत नहीं है कि वह अकेले अपने दम पर भाजपा जैसी बड़ी और सशक्त पार्टी को हराने में सक्षम हो सके। इसलिए, सभी दलों और समूहों को एक मंच पर लाने की आवश्यकता है।
“बी टीम” वाले आरोप पर प्रतिक्रिया
ओवैसी ने अपने भाषण में उन आरोपों का भी जिक्र किया, जिनमें AIMIM को भाजपा की “बी टीम” कहा जाता है। उन्होंने स्पष्ट रूप से कहा कि AIMIM ने हरियाणा में विधानसभा चुनाव नहीं लड़ा, फिर भी भाजपा ने वहां जीत दर्ज की। इस पर सवाल उठाते हुए उन्होंने पूछा कि अगर AIMIM चुनाव नहीं लड़ी तो भाजपा की जीत कैसे हुई? यह बयान उनके उस तर्क को मज़बूत करता है कि हर बार भाजपा की जीत का ठीकरा AIMIM पर नहीं फोड़ा जा सकता।
उन्होंने कहा कि अगर AIMIM ने हरियाणा में चुनाव लड़ा होता, तो कई सेक्युलर पार्टियां उन पर फिर से भाजपा का सहयोगी होने का आरोप लगातीं। ओवैसी ने यह बताने की कोशिश की कि भाजपा की जीत के पीछे कई और वजहें होती हैं और AIMIM को हमेशा निशाना बनाना उचित नहीं है।
हालांकि उनकी इस बात का कोई मतलब नहीं है, क्योंकि हरियाणा मुस्लिम वोट बैंक बहुत कम है। अगर ओवैसी की पार्टी हरियाणा में लड़ती तो उसके उम्मीदवारों की ज़मानत ज़ब्त हो जाती। ओवैसी की पार्टी बिहार, यूपी, असम, और पश्चिम बंगाल में जहां मुस्लिम वोट बैंक ज़्यादा हैं, वहां विपक्षी पार्टियों को ज़्यादा नुकसान पहुँचाती है।
हरियाणा विधानसभा चुनाव के परिणाम
हाल ही में हुए हरियाणा विधानसभा चुनावों में भाजपा ने 48 सीटों पर जीत हासिल की, जबकि कांग्रेस ने 37 सीटों पर सफलता पाई। वोट प्रतिशत के मामले में दोनों दलों के बीच बेहद कम अंतर रहा। भाजपा को 39.94% वोट मिले, जबकि कांग्रेस को 39.09% वोट मिले। हालांकि, सीटों के मामले में भाजपा ने बहुमत प्राप्त किया और सरकार बनाने की स्थिति में रही।
इस स्थिति पर टिप्पणी करते हुए ओवैसी ने कांग्रेस की रणनीति पर सवाल उठाया और सुझाव दिया कि अगर कांग्रेस भाजपा को वास्तव में हराना चाहती है, तो उसे अपने रणनीति में बदलाव करना होगा। कांग्रेस के लिए यह चुनावी परिणाम इस बात का संकेत है कि उसे अन्य दलों और समूहों के साथ मिलकर काम करना होगा, क्योंकि अकेले दम पर भाजपा को हराना मुश्किल साबित हो रहा है।
असदुद्दीन ओवैसी के इस सुझाव और हरियाणा विधानसभा चुनाव के परिणामों के बाद यह देखना दिलचस्प होगा कि कांग्रेस अपनी भविष्य की रणनीति कैसे तैयार करती है। क्या वह ओवैसी के सुझावों को ध्यान में रखते हुए अन्य दलों के साथ मिलकर कोई गठबंधन बनाती है, या फिर अपने दम पर ही भाजपा को चुनौती देने की कोशिश करती है?