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ईरान पर इज़रायली हमले का मैं ख़ुद पूरी तरह इंचार्ज था: डोनाल्ड ट्रंप

ईरान पर इज़रायली हमले का मैं ख़ुद पूरी तरह इंचार्ज था: डोनाल्ड ट्रंप

वॉशिंगटन में अपने घमंडी लहजे में बोलते हुए अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने फिर साबित कर दिया कि, ग़ाज़ा और ईरान पर हो रहे हमले किसी “सुरक्षा” नीति का हिस्सा नहीं बल्कि अमरीकी-इज़रायली गठजोड़ की साज़िश हैं। ट्रंप ने खुले तौर पर कहा कि “ईरान पर इज़रायली हमले का मैं ख़ुद इंचार्ज था” — यानी अब कोई शक नहीं बचता कि, इस पूरे क्षेत्र को अस्थिर करने की पटकथा वॉशिंगटन में लिखी जा रही है।

ग़ाज़ा में कथित “स्थिरता” लाने के नाम पर अंतरराष्ट्रीय फ़ोर्स तैनात करने की घोषणा दरअसल एक नया सैन्य कब्ज़ा है। जब फ़िलिस्तीन के लोग मलबों में अपने बच्चों की लाशें ढूंढ रहे हैं, तब अमरीका “संतोषजनक हालात” की बात कर रहा है — यह राजनीतिक बर्बरता का सबसे स्पष्ट उदाहरण है।

डोनाल्ड ट्रंप की यह योजना, जिसे वे “पीस प्लान” कहते हैं, शांति नहीं बल्कि क़ब्ज़े की वैधता दिलाने की कोशिश है। संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में पेश किए गए अमेरिकी मसौदे का असली उद्देश्य इज़रायल के अपराधों को ढकना और अरब देशों को इस सैन्य जाल में शामिल करना है। सऊदी अरब, मिस्र, क़तर, यूएई और तुर्की जैसे देश अगर इस खेल का हिस्सा बनते हैं, तो वे अपने ही क्षेत्र की स्वायत्तता पर वार करेंगे।

सूत्रों के अनुसार, प्रस्तावित फ़ोर्स का मक़सद “फ़िलिस्तीनी पुलिस को प्रशिक्षित करना” बताया जा रहा है, लेकिन हक़ीक़त यह है कि, इसका काम हमास के ख़िलाफ़ इज़रायल की नीति को ज़मीन पर लागू करना होगा — यानी ग़ाज़ा की सीमाओं की निगरानी और हथियारों की आपूर्ति रोकने के नाम पर फ़िलिस्तीनियों को और कमज़ोर बनाना।

अमरीका बार-बार दावा करता है कि उसके सैनिक वहाँ नहीं होंगे, मगर हर युद्ध में उसकी बंदूकें, उसके ड्रोन और उसकी रणनीति सबसे आगे होती है। ट्रंप का बयान इस सच्चाई को फिर उजागर करता है कि, ग़ाज़ा हो या ईरान, असली लक्ष्य “शांति” नहीं बल्कि प्रतिरोध की हर आवाज़ को कुचलना है।

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