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मुझे खुद को लगता है कि एक बार जाति जनगणना होनी ही चाहिए: अजित पवार

मुझे खुद को लगता है कि एक बार जाति जनगणना होनी ही चाहिए: अजित पवार

मुंबई: पिछले महीने 31 जुलाई को कांग्रेस और उसके सहयोगी दलों के सांसदों ने जाति जनगणना करवाने के लिए लोकसभा में जोरदार हंगामा और नारेबाजी की थी। अब महाराष्ट्र के डिप्टी सीएम और एनसीपी के प्रमुख अजित पवार ने देश में जाति जनगणना के मुद्दे पर अपनी राय दी है। एएनआई के साथ इंटरव्यू के दौरान जब उनसे पूछा गया कि क्या देश में जाति जनगणना होनी चाहिए? इस सवाल पर अजित पवार ने कहा कि मुझे खुद को लगता है कि एक बार होना ही चाहिए।

इसी साल जून महीने में महाराष्ट्र में मराठा और ओबीसी कोटा को लेकर चल रहे विरोध प्रदर्शनों के बीच एनसीपी मंत्री छगन भुजबल ने भी पूरे भारत में जाति जनगणना कराने की वकालत की थी। भुजबल ने कहा था, ”अगर यह जनगणना होती है, तो देश के ओबीसी के लिए बहुत फायदेमंद होगी। उन्हें केंद्र से अधिक धन मिलेगा। भुजबल ने आगे कहा था कि इसके होने से हम न केवल जनसंख्या, बल्कि ओबीसी की स्थिति को भी समझ पाएंगे।

उन्होंने कहा कि ऐसा होने पर ओबीसी को भी धन उपलब्ध होगा, जो वर्तमान में केवल SC या ST के लिए उपलब्ध है। एनसीपी (एसपी) प्रमुख शरद पवार भी जाति जनगणना की मांग कर चुके हैं। अजित पवार पहले भी जाति जनगणना के पक्ष में बोल चुके हैं। उनकी पार्टी एनसीपी ने लोकसभा चुनाव के दौरान घोषणापत्र में जाति-आधारित जनगणना की मांग के लिए अपने पूर्ण समर्थन पर जोर दिया था।

बता दें कि, लोकसभा चुनाव में जाति जनगणना का मुद्दा छाया रहा था। विपक्ष खासकर राहुल गांधी ने इसकी वकालत करते आए हैं। आईएएनएस की एक रिपोर्ट के मुताबिक राहुल गांधी ने उस दौरान कहा था कि यह सिर्फ जाति जनगणना नहीं होगी, यह आर्थिक सर्वे होगा। मतलब हिंदुस्तान में किसके हाथ में कितना पैसा है, हर संस्था का सर्वे होगा। इससे पता लग सकेगा कि किस वर्ग के लोगों की क्या स्थिति है।

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