हरियाणा के किसानों ने मोदी सरकार पर लगाया धोखाधड़ी का आरोप, MSP के लिए आंदोलन का किया ऐलान
हरियाणा के किसान एक बार फिर सड़कों पर उतर आए हैं और मोदी सरकार के खिलाफ आवाज बुलंद की है। मोदी सरकार पर धोखाधड़ी का आरोप लगाते हुए पूरे हरियाणा के किसान पंचकूला की सड़कों पर उतर आए। किसानों ने कहा कि केंद्र सरकार ने किसानों से किया एक भी वादा पूरा नहीं किया है।
सरकार को चेतावनी देते हुए किसानों ने कहा कि यह बड़े आंदोलन से पहले किसानों का पूर्वाभ्यास है। प्रदेश में पंचायत चुनाव के बावजूद इतनी बड़ी संख्या में किसानों को देखकर प्रशासन भी सहम गया है. सरकार को शायद अंदाजा नहीं था कि यहां इतने किसान जुटेंगे।
किसान सभा ने इस बात की भी पुष्टि की है कि किसानों में सरकार के खिलाफ असंतोष की चिंगारी है। केंद्र के तीन कृषि कानूनों के खिलाफ आंदोलन के दो साल पूरे होने पर पंचकूला की सड़कों पर राजभवन मार्च में उमड़ी किसानों की भीड़ ने किसान आंदोलन की यादें ताजा कर दीं। किसानों ने कहा कि सरकार के आश्वासन पर उन्होंने दिल्ली की सीमाओं पर मोर्चे खत्म कर दिए हैं, लेकिन मोदी सरकार ने एक भी वादा पूरा नहीं किया। सरकार ने किसानों के साथ धोखा किया है।
इस दौरान किसान लखीमपुर खीरी के हत्यारों को फांसी दो, कातिल सरकार और अडानी अंबानी को मार डालो के नारे भी लगा रहे थे। किसानों ने कहा कि लखीमपुर खीरी में चार किसानों और एक पत्रकार को कुचलने के आरोप में केंद्रीय मंत्री को गिरफ्तार कर बर्खास्त किया जाना चाहिए। किसान कह रहे थे कि केंद्र सरकार से एमएसपी लेके रहेंगे।
तीन कृषि कानूनों के खिलाफ आंदोलन शुरू करने के दो साल बाद भी हमारे हाथ खाली हैं। किसानों ने ऐलान किया कि MSP को लेकर देश में बड़ी लड़ाई होने जा रही है. यह जंग से पहले की रिहर्सल है। इसके लिए हम गांव-गांव जाएंगे और लोगों से बात करेंगे। किसानों ने कहा कि भाजपा सरकार कॉरपोरेट घरानों के सामने किसानों को बकरा बनाना चाहती है। देश की हालत ऐसी है कि आजादी के 75 साल बाद भी 80 करोड़ लोगों को इस सरकार को राशन देना पड़ रहा है।
किसानों ने कहा कि 80 प्रतिशत से अधिक किसान खेती की बढ़ती लागत और अपनी फसल के लिए पर्याप्त कीमत नहीं मिलने के कारण भारी कर्ज में डूबे हुए हैं, जिससे वे आत्महत्या करने को मजबूर हैं। किसानों ने बिजली संशोधन विधेयक 2022 को वापस लेने की मांग की।किसानों ने कहा कि केंद्र सरकार ने नौ दिसंबर 2021 को पत्र लिखकर संयुक्त किसान मोर्चा को लिखित आश्वासन दिया था कि मोर्चा से चर्चा के बाद ही विधेयक संसद में पेश किया जाएगा। फिर भी सरकार ने किसानों से सलाह किए बगैर इस बिल को संसद में पेश कर दिया।
किसानों की मांग थी कि लखीमपुर खीरी हत्याकांड में जेल में बंद निर्दोष किसानों को तत्काल रिहा किया जाए और उन पर दर्ज मुकदमे वापस लिए जाएं। साथ ही सरकार को शहीद किसानों के परिवारों और घायल किसानों को मुआवजा देने का अपना वादा पूरा करना चाहिए।
भाजपा शासित राज्यों में किसानों के विरोध के दौरान दर्ज किए गए फर्जी मुकदमे तुरंत वापस लिए जाएं। किसान आंदोलन के दौरान शहीद हुए सभी किसानों के परिवारों को मुआवजा दिया जाए और उनके पुनर्वास की व्यवस्था की जाए। सिंघू बॉर्डर पर शहीद स्मारक निर्माण के लिए भूमि आवंटित की जाए।