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हज कमेटी ने 20 दिवसीय हज यात्रा का प्रस्ताव पेश किया

हज कमेटी ने 20 दिवसीय हज यात्रा का प्रस्ताव पेश किया

भारत से हर साल लगभग 1.75 लाख लोग हज करते हैं। हज नीति 2026 में पहली बार 20 दिन के हज की व्यवस्था की गई है, जिसके लिए 10,000 सीटें आरक्षित रहेंगी। यदि आवेदन 10,000 से अधिक हो जाते हैं तो लॉटरी (कुर्राअंदाज़ी) के जरिए चयन किया जाएगा।

हज नीति के अनुसार, यात्रियों से कहा गया है कि वे सभी शर्तों और नियमों को ध्यान से पढ़ने के बाद ही आवेदन करें, क्योंकि एक बार आवेदन करने के बाद श्रेणी में बदलाव नहीं किया जा सकेगा। 20 दिन की हज यात्रा के लिए यात्रियों को यह भी ध्यान रखना होगा कि खर्च में कोई कटौती नहीं होगी। बल्कि हज समिति के एक अधिकारी के अनुसार, “खर्च बढ़ सकता है, घटेगा नहीं।”

उन्होंने इसका कारण यह बताया कि 40 या 45 दिन की हज यात्रा के लिए एयर चार्टर की पहले से योजना बनती है, एयरलाइनों की निविदाएं (टेंडर) उसी हिसाब से आती हैं। लेकिन छोटी अवधि के हज के लिए नई तरह से उड़ानों की व्यवस्था करनी पड़ेगी, जिससे खर्च अधिक हो सकता है। साथ ही, हज सीज़न के दौरान रहने की व्यवस्था पूरे समय के लिए की जाती है, न कि रोजाना या कुछ दिनों के लिए।

20 दिन के हज के लिए एक और महत्वपूर्ण बात यह है कि यात्री देश के सभी एम्बार्केशन प्वाइंट से नहीं बल्कि केवल 7 एम्बार्केशन प्वाइंट से ही रवाना होंगे। ये 7 केंद्र हैं: दिल्ली, मुंबई, बेंगलुरु, चेन्नई, हैदराबाद, कोचीन और अहमदाबाद। नई हज नीति में इस बार यात्रियों को एक के बजाय दो एम्बार्केशन प्वाइंट चुनने की सलाह दी गई है, जिसे हज समितियों द्वारा यात्रियों के हित में बताया गया है। पहले यह नियम नहीं था।

लेकिन इसमें एक महत्वपूर्ण प्रश्न यह है कि, उदाहरण के तौर पर अगर किसी यात्री ने मुंबई से यात्रा करने का ठोस निर्णय लिया हो और नीति के कारण उसे अहमदाबाद को भी वैकल्पिक रूप में चुनना पड़े, और अंततः उसे अहमदाबाद से यात्रा करनी पड़ी, तो ऐसे में जो अतिरिक्त खर्च और असुविधा वह झेलेगा, उसकी जिम्मेदारी किसकी होगी? इसका समाधान क्या होगा?

हालाँकि हज समिति का कहना है कि यह व्यवस्था एयर चार्टर सेवाओं के संचालन और एयर सेफ्टी प्रोटोकॉल के अनुसार यात्रियों के हित में की गई है। हज समिति को एम्बार्केशन प्वाइंट बदलने का अधिकार रहेगा। इस व्यवस्था को लेकर भी यात्रियों की ओर से सवाल उठाए जा रहे हैं। इसी प्रकार, राष्ट्रीय स्तर पर एम्बार्केशन प्वाइंट की संख्या 22 से घटाकर 2026 में केवल 17 कर दी गई है।

65 वर्ष या उससे अधिक आयु के यात्रियों के लिए आरक्षित श्रेणी और उनके साथ एक सहायक की व्यवस्था भी पहले की तरह जारी रहेगी। इस श्रेणी में यात्री अकेले हज यात्रा पर नहीं जा सकेंगे। साथ ही, सहायक की आयु 18 से 60 वर्ष के बीच होनी चाहिए। बिना महरम (पुरुष संरक्षक) के हज यात्रा करने वाली महिलाओं के लिए भी सुविधा पूर्ववत जारी रहेगी।

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