Gyanvapi Masjid: उत्तर प्रदेश के वाराणसी जिले में ज्ञान वापी मस्जिद – काशी विश्वनाथ मंदिर के विवादित भूमि स्वामित्व मामले ने उस समय नया मोड़ ले लिया जब फास्ट ट्रैक कोर्ट के एक वरिष्ठ न्यायाधीश ने 31 साल पुराने मामले की सुनवाई करते हुए ज्ञान वापी परिसर का पुरातत्व सर्वेक्षण का आर्डर दे दिया।
इस संबंध में सुन्नी वक्फ बोर्ड ने अदालत के फैसले पर असंतोष व्यक्त करते हुए इसे उच्च न्यायालय में चुनौती देने की घोषणा की है।
वक्फ बोर्ड के वकील अभय नाथ यादव ने कहा कि अदालत ने अपने अधिकार क्षेत्र से बाहर जाकर आर्डर दिया है। इस मामले के अधिकार क्षेत्र के बारे में सुन्नी वक्फ बोर्ड और प्रशासन मस्जिद समिति ने सिविल जज सीनियर डिवीजन फास्ट ट्रैक को अदालत में चुनौती दी थी।
पिछले साल 25 फरवरी को सिविल जज ने चुनौती मामले को खारिज कर दिया था। सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड और मस्जिद की कमेटी ने जिला न्यायाधीश यहाँ निगरानी याचिका दायर की थी। उसी मामले की वैधता पर उच्च न्यायालय में सुनवाई हो रही है हालाँकि इस मामले को दोनों पक्षों ने सुलझा लिया है और उच्च न्यायालय ने फैसला सुरक्षित रखा है।
बता दें कि अभय नाथ यादव का कहना है ज्ञान वापी परिसर के विवादित स्थल को रडार तकनीक और खुदाई के माध्यम से पुरातत्व के लिए सर्वेक्षण किया जाएगा जो वर्तमान परिस्थितियों में बिल्कुल ग़ैर ज़रूरी है।
ग़ौरतलब है कि प्रशासन मस्जिद समिति और केंद्रीय सुन्नी वक्फ बोर्ड ने हिंदू पार्टी के दावे पर आपत्ति जताते हुए कहा कि ज्ञान वापी में कोई मंदिर नहीं था। वहां हमेशा एक मस्जिद रही है। इसके अलावा, एक ही स्थान पर दो ज्योतिर्लिंग कैसे हो सकते हैं। इससे स्पष्ट है कि वहां कभी मंदिर नहीं था उसी आधार को चुनौती दी गई है।