रेप के आरोप में सज़ा काट रहा गुरमीत राम रहीम 21 दिनों के लिए जेल से बाहर

रेप के आरोप में सज़ा काट रहा गुरमीत राम रहीम 21 दिनों के लिए जेल से बाहर

हरियाणा: बलात्कार के आरोप में 20 साल की सजा काट रहे डेरा सच्चा सौदा प्रमुख गुरमीत राम रहीम एक बार फिर जेल से बाहर आ गया है। इस बार उसको 21 दिनों की फरलो मिली है।आज सुबह 6:30 बजे रिहा कर दिया गया। राम रहीम को लेने के लिए आश्रम से दो गाड़ियां आईं। वह डेरा के बागपत आश्रम में रहेगा।

शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी (SGPC) की ओर से कुछ दिनों पहले गुरमीत राम रहीम को बार-बार पैरोल और फरलो दिए जाने के खिलाफ याचिका दायर की गई थी। लेकिन पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट ने इसे खारिज कर दिया और हरियाणा सरकार को निर्देश दिए कि गुरमीत राम रहीम को फरलो या पैरोल दिए जाने को लेकर कंपिटेंट अथॉरिटी नियमों के आधार पर फैसला लिया जाए।

फरलो और पैरोल में क्या अंतर है?
फरलो और पैरोल दोनों में सजा काट रहे कैदियों को जेल से बाहर जाने की अनुमति मिलती है, लेकिन इन दोनों के बीच अंतर होता है। दिल्ली हाई कोर्ट लीगल सर्विस कमेटी की रिपोर्ट के अनुसार, पैरोल में कैदी को थोड़े दिनों के लिए अस्थाई रूप से छोड़ा जाता है। इसका मकसद यह होता है कि कैदी अपने परिवार और समुदाय के साथ सामाजिक रूप से जुड़ा/जुड़ी रह सके।

फरलो पाने के लिए कैदी को जेल में कुछ साल बिताने पड़ते है।अगर उसका व्यवहार अच्छा रहता है और वो जेल में अनुशासन बनाए रखता है, तो उसे कम समय के लिए छोड़ा जाता है। फरलो उस कैदी को दी जा सकती है जिसे 5 साल से ज्यादा सालों के लिए सख्त सजा दी गई हो और वह दोषसिद्धि के बाद तीन साल की सजा काट चुका हो। पैरोल की अवधि के दौरान जेल से बाहर बिताए गए दिनों को सजा के रूप में नहीं गिना जाता। पैरोल और फरलो में सबसे बड़ा अंतर है कि फरलो के दौरान जेल से बाहर बिताए गए दिनों को सजा की अवधि में गिना जाता है।

बता दें कि, आदालत का ये फैसला बीते 9 अगस्त को शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी (SGPC) द्वारा डेरा सच्चा सौदा प्रमुख को अस्थायी रिहाई को चुनौती देने वाली याचिका का निपटारा करने के बाद आया है। शीर्ष गुरुद्वारा निकाय SGPC ने राम रहीम की अस्थायी रिहाई के खिलाफ याचिका दायर की थी। साथ ही ये दलील दी थी कि, डेरा प्रमुख हत्या और बलात्कार जैसे गंभीर अपराध करने के लिए कई सजा भुगत रहा है और अगर उसे रिहा किया जाता है, तो इससे भारत की संप्रभुता और अखंडता को खतरा होगा और सार्वजनिक व्यवस्था पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा।

गौरतलब है कि, राम रहीम ने इस साल जून में उच्च न्यायालय का रुख कर 21 दिन की फरलो की मांग की थी। 29 फरवरी को, उच्च न्यायालय ने हरियाणा सरकार से कहा था कि, वह न्यायालय की अनुमति के बिना डेरा सच्चा सौदा प्रमुख को और पैरोल न दे। बता दें कि, डेरा सच्चा सौदा प्रमुख गुरमीत राम रहीम को अब तक कई बार पैरोल मिल चुकी है, जिसकी सभी रजनीतिक दलों और मानवाधिकार संगठनों ने आलोचना की है।

कब-कब बाहर आए राम रहीम?
राम रहीम को 17 जनवरी 2019 और 18 अक्टूबर 2021 को आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी. उनको पहली बार एक दिन की पैरोल 24 अक्टूबर 2020 को मिली थी. राम रहीम को 13 अगस्त कोदसवीं बार जेल से छूट मिली है. वह फरलो पर 21 दिन के बाहर आए हैं.
21 मई 2021 (दूसरी बार) – एक दिन के लिए
7 फरवरी 2022 (तीसरी बार) – 21 दिन के लिए
17 जून 2022 (चौथी बार) – 30 दिन के लिए
15 अक्टूबर 2022 (पांचवी बार) – 40 दिन के लिए
21 जनवरी 2023 (छठी बार) – 40 दिन के लिए
20 जुलाई 2023 (सातवीं बार) – 30 दिन के लिए
21 नवंबर 2023 (आठवीं बार) – 21 दिन के लिए
19 जनवरी 2024 (नौंवी बार) – 50 दिन के लिए

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