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कर्नाटक और उत्तराखंड के बाद गुजरात अंतिम नहीं, नपेंगे कई और नेता

कर्नाटक और उत्तराखंड के बाद गुजरात अंतिम नहीं, नपेंगे कई और नेता भाजपा ने पिछले 3 महीने में अपने तीन मुख्यमंत्रियों को रुखसत किया है।

कर्नाटक और उत्तराखंड के बाद अब गुजरात के मुख्यमंत्री की भी विदाई हो चुकी है। गुजरात के सीएम विजय रुपाणी की विदाई राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ और भारतीय जनता पार्टी द्वारा अगले कई सालों का चुनावी रणनीति का खाका खींच लिए जाने के बाद हुई है।

संघ और भाजपा की रणनीति के अनुसार गुजरात के सीएम का इस्तीफा एक कड़ी मात्र है। भाजपा ने आने वाले समय की अपनी राजनीतिक तैयारियों को लेकर कड़े बदलाव के संकेत दिए हैं।

विश्लेषकों की मानें तो आने वाले समय में कुछ अन्य राज्यों में भी नेतृत्व परिवर्तन हो सकता है। भाजपा के केंद्रीय नेतृत्व को अपनी अपेक्षा के अनुरूप फीडबैक नहीं मिला है। देशभर में कमजोर विपक्ष के बावजूद भाजपा समय रहते अपने सारी तैयारियां पूरी कर लेना चाहती है। गुजरात में मुख्यमंत्री चेहरे का बदलाव इसी बात का संकेत है।

याद रहे कि भाजपा ने पिछले 3 महीने में उत्तराखंड, कर्नाटक और गुजरात राज्य में नेतृत्व परिवर्तन किया है। उत्तराखंड में अगले साल विधानसभा चुनाव होंगे। पार्टी के अनुसार वहां पुराने चेहरे के साथ चुनाव तैयारियां सही नहीं जा रही थी। इसी लिए उत्तराखंड में मुख्यमंत्री को बदल दिया गया।

कर्नाटक में पार्टी ने बड़े नेता को पदमुक्त कर दिया ताकि भविष्य की राजनीति के अनुसार मजबूत ज़मीन तैयार की जा सके। अब गुजरात में भी भाजपा ने नेतृत्व परिवर्तन करके साफ कर दिया है कि केंद्रीय नेतृत्व कमज़ोर नेतृत्व के पक्ष में बिल्कुल भी नहीं है।

कहा जा रहा है कि 2024 में लोकसभा चुनाव से पहले भाजपा कई राज्य में होने वाले विधानसभा चुनाव को लेकर चिंतित है। पार्टी विधानसभा चुनाव में अपना प्रदर्शन मजबूत देखना चाहती है ताकि 2024 के चुनाव में एक मजबूत आधार के साथ चुनावी मैदान में जा सके।

भाजपा इस बात को जानती है कि लोग बेहद लिए नाराज है। कोविड 19 आने भाजपा के लिए और दिक्कतें खड़ी की है। लोगों में ग़ुस्सा है जिसका असर इन चुनावों पर पड़ सकता है।

भाजपा के अंदरूनी सूत्रों की बातों पर विश्वास करें तो हरियाणा, मध्य प्रदेश, त्रिपुरा में भी भाजपा को अच्छा फीडबैक नहीं मिला है और यहां बड़े पैमाने पर फेरबदल देखने को मिल सकता है।

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