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सोनिया गांधी के दिन गए, ममता पर भाजपा नेता की टिप्पणी पर बवाल

सोनिया गांधी के दिन गए, ममता पर भाजपा नेता की टिप्पणी पर बवाल ममता बनर्जी पर निशाना साध कर की गई भाजपा नेता दिलीप घोष की टिप्पणी पर बवाल मच गया है।

सोनिया गांधी के दिन खत्म हो गए हैं और ममता बनर्जी उनके स्थान पर विपक्ष की नेता बनने की कोशिश कर रही है। दिलीप घोष का यह बयान संसद के शीतकालीन सत्र से पहले कांग्रेस की ओर से बुलाई गई विपक्षी पार्टियों की बैठक में तृणमूल कांग्रेस के शामिल ना होने के निर्णय के बाद आया है।

भाजपा नेता दिलीप घोष के इस बयान पर विवाद खड़ा हो गया है। दिलीप घोष ने कहा था कि सोनिया गांधी के दिन खत्म हो गए हैं और ममता बनर्जी नेता बनने की कोशिश कर रही हैं। दिलीप घोष ने कहा कि उन्हें तय करने दें कि कौन किसके साथ रहेगा। भाजपा को इसमें कोई दिलचस्पी नहीं है। यह विपक्ष का नाटक है। कौन बैठक बुलाएगा कांग्रेस या तृणमूल कांग्रेस। मुख्य पार्टी कौन सी है ? किसी भी निर्णय के आने से पहले संसद का यह सत्र समाप्त हो जाएगा।

दिलीप घोष की इस टिप्पणी पर कांग्रेस और तृणमूल कांग्रेस दोनों ही दलों की ओर से गंभीर आलोचना हो रही है। तृणमूल कांग्रेस के वरिष्ठ सांसद सौगत राय ने कहा कि कोलकाता में हमारी एक महत्वपूर्ण बैठक थी जिस कारण हमें वापस आना पड़ा। घोष के बयान पर कोई टिप्पणी करना महत्वहीन है। बेहूदा चीजों पर समय बर्बाद करने के बजाय उन्हें विधानसभा चुनाव में अपनी हार के बारे में सोचना चाहिए।

कांग्रेस नेता प्रदीप भट्टाचार्य ने कहा कि उनके साथ समस्या यह है कि वह भारतीय संसदीय राजनीति का इतिहास नहीं जानते। भाजपा जब विपक्ष में थी उसने विपक्षी दलों की बैठक बुलाई। अब कांग्रेस ने बुलाई है। यह संसदीय प्रोटोकाल है लेकिन वह इसे नजरअंदाज करने का प्रयास कर रहे हैं।

कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी ने टीएमसी का नाम लिए बिना कहा कि कुछ विपक्षी दल विपक्ष होने का ढोंग करते हैं लेकिन वास्तव में वह सत्ताधारी दल के साथ हैं। सरकार के साथ जब भी टकराव होता है वह पीछे हट जाते हैं। कांग्रेस इस तरह का व्यवहार नहीं करती।

अधीर रंजन चौधरी के बयान पर प्रतिक्रिया देते हुए डेरेक ओ ब्रायन ने ट्वीट करते हुए कहा, हां संसद में विपक्षी एकता होगी। आम मुद्दे विपक्ष को एकजुट करेंगे। डीएमके, सीपीएम , राजद यह कांग्रेस के चुनावी सहयोगी हैं। शिवसेना झामुमो एनसीपी उनके साथ सरकार चला रहे हैं। कांग्रेस ना हमारी चुनाव सहयोगी है ना हम उनके साथ कोई सरकार चला रहे हैं। यही अंतर है।

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