सहारनपुर में फर्नीचर का 1500 करोड़ का कारोबार घटकर 800 करोड़ का रह गया है: इमरान मसूद
कांग्रेस सांसद इमरान मसूद ने लोकसभा में अपने पहले भाषण में सरकार के खोखले दावों की धज्जियां उड़ाते हुए भीड़ हिंसा पर सरकार को आईना दिखाने की कोशिश की। उन्होंने कहा, राष्ट्रपति ने अपने भाषण में स्वास्थ्य जैसे महत्वपूर्ण विषय पर केवल 10 से 15 सेकंड में बात समाप्त कर ली। 55 करोड़ भारतीय नागरिक आयुष्मान योजना के लिए पात्र थे। 25 हजार जन औषधि केंद्र खोले जा रहे हैं और 10 साल से अधिक उम्र के बच्चों को भी इस योजना के लिए पात्र बनाने का निर्णय लिया गया है, लेकिन महोदय, एक और बात जो बार-बार कही जा रही है वह यह है कि जिन परिवारों में 6 सदस्य होंगे केवल उन्हीं का आयुष्मान कार्ड बनेगा। एक तरफ आबादी को नियंत्रित करने की बात होती है और दूसरी तरफ जिनके ज्यादा बच्चे हों केवल उन्हीं का आयुष्मान कार्ड बनेगा! इस योजना के तहत लगभग 34 करोड़ कार्ड जारी किए गए जिनमें से 6 करोड़ 80 लाख लोगों को इलाज का लाभ मिला, मगर 55 करोड़ पात्र लोगों में से अब तक 20 से 21 करोड़ लोगों के आयुष्मान कार्ड नहीं मिले जबकि इस योजना को शुरू हुए साढ़े 6 साल हो चुके हैं।
यह योजना जनता की भलाई के लिए है, लेकिन इसमें जो खामियां हैं उनकी ओर ध्यान दिलाना चाहूंगा। स्वयं सरकार ने स्वीकार किया है कि एक ही नंबर पर साढ़े 7 लाख कार्ड बना दिए गए। सौ-सौ करोड़ रुपये की संपत्ति वालों के आयुष्मान कार्ड बन गए और अल्पसंख्यकों, दलितों, आदिवासियों, पिछड़ों और गरीबों के कार्ड नहीं बन पाए। आयुष्मान योजना के ऑडिट में सीएजी ने भी खामियां पाई थीं। स्वास्थ्य सेवाएं हमारे देश के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण हैं क्योंकि जिस देश का युवा स्वस्थ होगा वही देश प्रगति करेगा।
आप दावा करते हैं कि हमने 315 मेडिकल कॉलेज नए बना दिए, लेकिन क्या उन मेडिकल कॉलेजों में वे सारी चीजें, सुविधाएं और उपकरण उपलब्ध कराए गए जो होने चाहिए? क्या आपने आवश्यकता के अनुसार डॉक्टर उपलब्ध कराए? मेरे क्षेत्र में शेखुल हिंद मेडिकल कॉलेज बनाया गया, 10 साल हो गए, लेकिन आज तक इसके लिए भवन का हस्तांतरण नहीं हुआ, नतीजा यह है कि रखरखाव का फंड भी जारी नहीं किया गया। आप सोच सकते हैं कि इसकी इमारत की क्या हालत हो गई होगी। मेडिकल कॉलेज तो बना दिया गया, लेकिन उसमें डॉक्टर नहीं हैं। एक भी सुपर स्पेशलिटी विभाग नहीं है, मरीजों को बाहर जाना पड़ता है। जब मेरे जैसे क्षेत्र में जो बेहतर क्षेत्रों में गिना जाता है, सरकारी अस्पताल की यह हालत है तो फिर देश के अन्य क्षेत्रों में क्या हाल होगा?
इस पर ध्यान देने की जरूरत है। इसी तरह आपने विश्वविद्यालयों का जिक्र किया। मेरे यहां मां शाकुंभरी विश्वविद्यालय खोली गई, 4 साल हो गए मगर आज तक शैक्षणिक व्यवस्था पूरी तरह से शुरू नहीं हो सकी है। आज तक पूरी बिल्डिंग नहीं बनी, पूरा पैसा नहीं मिला। 45 केंद्रीय विश्वविद्यालयों में 30 प्रतिशत से ज्यादा शिक्षकों के पद खाली पड़े हुए हैं। अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय बहुत बड़ा संस्थान है, मगर इसमें शिक्षकों की कमी है, इसके फंड को लगातार कम किया जा रहा है, किशनगंज में इसकी जो शाखा थी वह बंद होने के कगार पर पहुंच गई है। इन संस्थानों से गरीबों के बच्चे पढ़कर निकलते हैं। मैं आपका ध्यान इस ओर आकर्षित करना चाहता हूं। जब नीट के परीक्षाएं रद्द करनी पड़े और बार-बार प्रश्नपत्र लीक हों तो सरकार को सतर्क हो जाना चाहिए।
नीट का मामला हो, अग्निवीर का मामला हो या कारोबार का मसला, देश का युवा परेशान है। आप कहते हैं कि हमारा देश 5 ट्रिलियन की अर्थव्यवस्था बनने की ओर बढ़ रहा है लेकिन यह नहीं बताते कि 5 ट्रिलियन की अर्थव्यवस्था के लिए 10 प्रतिशत से अधिक की वृद्धि दर की आवश्यकता है। आपकी सरकार में वृद्धि दर क्या है? एनएसओ के ताजा सर्वे में छोटे कारोबार के संबंध में चौंकाने वाले आंकड़े सामने आए हैं। जुलाई 2014 से सितंबर 2023 के बीच देश में लगभग 18 लाख फैक्ट्रियां बंद हो गईं। इनमें काम करने वाले 54 लाख से अधिक लोग बेरोजगार हो गए। विनिर्माण के असंगठित क्षेत्र में फैक्ट्रियों की संख्या 157 लाख थी, लेकिन इसमें 9.3 प्रतिशत की गिरावट आई है। ये छोटी-छोटी फैक्ट्रियां जो असंगठित क्षेत्र के कारोबार हैं, इनमें 10 करोड़ 96 लाख लोग काम कर रहे हैं। ये खुद सरकारी आंकड़े बताते हैं। मैं इसलिए इस ओर ध्यान दिला रहा हूं कि जब आप 5 ट्रिलियन अर्थव्यवस्था की बात करते हैं तो आपको यह भी देखना होगा कि आप कितना निर्यात कर रहे हैं और आयात पर आपका निर्भरता कितना बढ़ गया है। निर्यात लगातार घट रहा है।
मेरे यहां फर्नीचर का कारोबार है। सहारनपुर का फर्नीचर पूरी दुनिया में जाना जाता है, 1500 करोड़ का कारोबार होता था जो अब घटकर 800 करोड़ का रह गया है। अगर केवल एक जिले में कारोबार में 800 करोड़ की कमी आई है तो आप अंदाजा लगा सकते हैं कि इस देश के 650 जिलों की कुल स्थिति क्या होगी? आप 5 ट्रिलियन का लक्ष्य लेकर चल रहे हैं, लेकिन जब तक युवाओं को रोजगार नहीं मिलेगा, आप इस लक्ष्य को हासिल नहीं कर सकेंगे।
देश में बार-बार कहा जा रहा है कि कानून कड़े बनाए जा रहे हैं, लेकिन भीड़ बेकाबू होकर जिस तरह लोगों को मार रही है, जिसे मॉब लिंचिंग कहते हैं, वह चिंताजनक है। मेरे क्षेत्र के 3 लोगों को छत्तीसगढ़ में मार दिया गया। उत्तर प्रदेश के अलीगढ़ में भीड़ ने एक व्यक्ति को मार डाला। आगरा में 2 लोगों ने पुलिस के अत्याचारों से तंग आकर आत्महत्या कर ली। फिरोजाबाद में एक व्यक्ति हिरासत में मारा गया, जबकि पुलिस उसे सही सलामत उठाकर ले गई थी। देश में जिस तरह की परिस्थितियां बन रही हैं उनमें केवल कानून कड़ा करने से काम नहीं चलेगा, उन पर अमल भी करना होगा।