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बिहार में व्यवस्था परिवर्तन तो छोड़िए, हम सत्ता परिवर्तन भी नहीं करा सके: प्रशांत किशोर

बिहार में व्यवस्था परिवर्तन तो छोड़िए, हम सत्ता परिवर्तन भी नहीं करा सके: प्रशांत किशोर

बिहार विधानसभा चुनाव 2025 में करारी हार झेलने के बाद जन सुराज पार्टी के प्रमुख चेहरा प्रशांत किशोर ने 18 नवंबर को मीडिया के सामने आत्मस्वीकारोक्ति वाली प्रेस कॉन्फ्रेंस की। उन्होंने साफ कहा कि बिहार में न सिर्फ व्यवस्था बदलने का लक्ष्य अधूरा रह गया, बल्कि सत्ता परिवर्तन की कोशिश भी नाकाम साबित हुई। किशोर ने माना कि पार्टी की हार की पूरी जिम्मेदारी उन्हीं की है और राजनीतिक परिवर्तन की दिशा में जो उम्मीदें लोगों ने उनसे जोड़ी थीं, वह पूरी न हो सकीं।

 प्रशांत किशोर ने कहा कि यह हार सिर्फ किसी एक की नहीं बल्कि पूरे संगठन की सामूहिक विफलता है। उन्होंने जनादेश को स्वीकार करते हुए विजयी उम्मीदवारों को शुभकामनाएं दीं और कहा कि अब नीतीश कुमार और बीजेपी के ऊपर यह जिम्मेदारी है कि वे अपने वादों के अनुरूप राज्य में विकास, रोजगार और भ्रष्टाचार-मुक्त प्रशासन सुनिश्चित करें, ताकि पलायन की पुरानी समस्या खत्म हो सके।

अपने समर्थकों से माफी मांगते हुए उन्होंने कहा कि, जन सुराज पार्टी के विचार से जुड़े लोगों ने एक नए बिहार का सपना देखा था, लेकिन संगठन उस व्यवस्था को खड़ा करने में सफल नहीं हो पाया। उन्होंने कहा कि उम्मीदों पर खरा न उतरने की पूरी गलती उनकी है।

इससे पहले 15 नवंबर को पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष उदय सिंह ने भी नतीजों पर प्रतिक्रिया देते हुए एनडीए को जीत की बधाई दी थी। उन्होंने कहा था कि जन सुराज के मुद्दों पर ही चुनावी चर्चा हुई और पार्टी विधानसभा में न रहते हुए भी जनता के पक्ष में “मजबूत विपक्ष” की भूमिका निभाती रहेगी। उन्होंने उम्मीद से कम वोट मिलने का कारण लोगों में आरजेडी की वापसी को लेकर बनी आशंका बताया था।

विधानसभा चुनाव में जन सुराज को बेहद निराशाजनक प्रदर्शन का सामना करना पड़ा। 243 में से 238 सीटों पर उम्मीदवार उतारने के बावजूद 236 सीटों पर जमानत जब्त हो गई। चुनाव से पहले किशोर ने बड़े दावे किए थे कि जेडीयू को 25 से ज्यादा सीटें आईं तो वे राजनीति छोड़ देंगे, लेकिन नतीजों में जेडीयू 85 सीटों के साथ बड़ा विजेता बनकर उभरी। इस पर जेडीयू नेता राजीव रंजन ने टिप्पणी की थी कि केवल ऊंचे दावे कर देना नीतीश कुमार का विकल्प बनने के लिए काफी नहीं, और प्रशांत किशोर की असल पहचान एक रणनीतिकार तक ही सीमित है।

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