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हरिद्वार के इतिहास में पहली बार कांवड़ यात्रा में मसजिदों और मजारों को चादर से छिपाया गया

हरिद्वार के इतिहास में पहली बार कांवड़ यात्रा में मसजिदों और मजारों को चादर से छिपाया गया

हरिद्वार: दुकानों के सामने नेम प्लेट लगाने और हटाने का मामला अभी शांत भी नहीं हुआ था कि हरिद्वार के रामनगर क्षेत्र में मस्जिद और मजार के सामने टंगा पर्दा प्रशासन की गले की फांस बन गया। मस्जिद और मजार कमेटी के प्रबंधकों का दावा कि उन्होंने प्रशासन के कहने पर कांवड़ यात्रा के दो दिन पहले पर्दा लगाया, जबकि पुलिस के आला अधिकारी इस तरह के किसी भी निर्देश से सीधे इनकार कर कर रहे हैं। हरिद्वार में चल रही कांवड़ यात्रा के मार्ग पर स्थित दो मसजिदों और एक मजार को शुक्रवार की सुबह बड़ी सफेद चादरों का इस्तेमाल करके छिपा दिया गया था। शाम तक, जिला प्रशासन ने चादरें हटवा दीं। पुलिस ने कहा कि जो हुआ वह एक गलती थी।

हरिद्वार प्रशासन ने दावा किया कि उन्होंने चादरें लगाने के लिए कोई आदेश जारी नहीं किया है। जबकि हरिद्वार जिले के प्रभारी मंत्री सतपाल महाराज ने कहा कि यह उपाय किसी भी अशांति को रोकने और कांवड़ यात्रा ठीक से चलती रहे, इसके लिए किया गया था। बहरहाल, यह एक तथ्य है कि मुसलमानों के धार्मिक स्थलों को चादर से ढंक दिया गया था। हरिद्वार में यात्रा मार्ग शहर के ज्वालापुर क्षेत्र से होकर गुजरता है, जहां मसजिदें और मजार स्थित हैं। हरिद्वार के इतिहास में ऐसा पहली बार हुआ है, जब मसजिदों और मजारों को चादर से छिपाया गया। ताकि कांवड़ियों की नजर उन पर न पड़े।

रामनगर क्षेत्र के मस्जिद और एक मजार के सामने पर्दा टंगा देखकर सोशल मीडिया पर खबर वायरल होने लगी। इसमें बताया गया कि मस्जिद और मजार के सामने पर्दा टांगने का निर्देश प्रशासन ने दिया। मामले में जब पुलिस के आला अधिकारियों से बात की गई तो उन्होंने इस तरह के किसी निर्देश से सीधे मना कर दिया। वहीं मस्जिद कमेटी का कहना है कि कांवड़ मेला के दो दिन पूर्व यानि 21 जुलाई को मस्जिद और मजार के सामने पर्दा टांगा गया। पर्दा किसने टांगा और किसने हटा दिया यह फिलहाल कुछ पता नहीं चल पाया है। मस्जिद कमेटी के मौलाना अनवर अली का कहना है कि कांवड़ यात्रा शुरू होने के दो दिन पूर्व पुलिस और प्रशासन की ओर से पर्दा लगाने के निर्देश दिए गए थे।

हालाँकि, हरिद्वार के पुलिस अधीक्षक (शहर) स्वतंत्र कुमार ने मीडिया को बताया कि ऐसा करने का कोई आदेश नहीं था। न तो जिला प्रशासन और न ही पुलिस की ओर से। उनके पास इस सवाल का जवाब नहीं है कि ऐसा फिर कैसे हुआ। एसपी ने कहा- “हमने संबंधित पक्ष (मुस्लिमों) से भी बात की है और कवर हटा दिए हैं। हमने स्थानीय लोगों से भी बात की है। यात्रा मार्ग पर बैरिकेड्स लगाए जा रहे थे, उसी में कोई गलती हुई होगी, जिसके कारण कवर लगाए गए। यह जानबूझकर नहीं था।”

धार्मिक स्थल को ढंकने के आदेश की आलोचना करते हुए, कांग्रेस नेता और पूर्व मंत्री नईम कुरेशी ने कहा, “हम मुसलमान हमेशा कांवड़ मेले के लिए शिवभक्तों का स्वागत करते हैं और विभिन्न स्थानों पर उनके लिए जलपान की व्यवस्था करते हैं। यह हिंदुओं के बीच सद्भाव का एक उदाहरण रहा है। हरिद्वार में मुसलमानों के बीच इस तरह पर्दे से ढांकने की परंपरा कभी नहीं रही।” हरिद्वार में यात्रा मार्ग शहर के ज्वालापुर क्षेत्र से होकर गुजरता है, जहां मसजिदें और मजार स्थित हैं। हरिद्वार के इतिहास में ऐसा पहली बार हुआ है, जब मसजिदों और मजारों को चादर से छिपाया गया। ताकि कांवड़ियों की नजर उन पर न पड़े।

उत्तराखंड कांग्रेस के उपाध्यक्ष सूर्यकांत धस्माना ने कहा- “हरिद्वार जिले में कांवड़ यात्रा मार्ग पर मसजिदों और मजारों पर पर्दे लगाने का आदेश, चाहे जिसने भी इसे जारी किया हो, सुप्रीम कोर्ट के खिलाफ है जिसने उस आदेश पर रोक लगा दी है जिसमें मार्ग पर होटल और रेस्तरां मालिकों और फल विक्रेताओं से कहा गया था अपना नाम, जाति और धार्मिक पहचान प्रदर्शित करें।” उत्तराखंड के अन्य कांग्रेस नेताओं ने भी इसकी निन्दा करते हुए कहा कि मसजिदों और मजारों को कवर करना सुप्रीम कोर्ट की मानहानि है।

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