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शहीद शिक्षक को आतंकी बताने पर ज़ी न्यूज़ और न्यूज़18 पर एफ़आईआर का आदेश 

शहीद शिक्षक को आतंकी बताने पर ज़ी न्यूज़ और न्यूज़18 पर एफ़आईआर का आदेश

 

‘ऑपरेशन सिंदूर’ के दौरान पाकिस्तानी गोलाबारी में शहीद हुए शिक्षक क़ारी मोहम्मद इक़बाल को “आतंकवादी” बताकर पेश करने के मामले में अदालत ने सख़्त रुख अपनाते हुए जम्मू-कश्मीर पुलिस को ज़ी न्यूज़ और न्यूज़18 के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने का आदेश दिया है। यह मामला जम्मू-कश्मीर के पुंछ ज़िले से जुड़ा है, जहाँ एक बेहद संवेदनशील और गंभीर मीडिया ग़लती के कारण दो प्रमुख हिंदी न्यूज़ चैनल,— ज़ी न्यूज़ और न्यूज़18 — कानूनी मुसीबत में फंस गए हैं।

दरअसल, 7 मई 2024 को “ऑपरेशन सिंदूर” के दौरान पाकिस्तान की ओर से की गई गोलाबारी में स्थानीय शिक्षक क़ारी मोहम्मद इक़बाल शहीद हो गए थे। वह पुंछ के जामिया ज़िया उल-उलूम में एक सम्मानित शिक्षक के रूप में कार्यरत थे। लेकिन दुख की बात यह रही कि उनकी शहादत को लेकर ‘ज़ी न्यूज़ और न्यूज़18’ ने अपनी रिपोर्टिंग में उन्हें “पाकिस्तानी आतंकवादी” और “लश्कर-ए-तैयबा का सदस्य” बताकर पेश किया। इतना ही नहीं, चैनलों ने दावा किया कि वह पुलवामा हमले में शामिल थे और पाक अधिकृत कश्मीर में मारे गए।

इस रिपोर्टिंग में इक़बाल साहब की तस्वीर, पूरा पता, और अन्य व्यक्तिगत जानकारी भी दिखायी गई, जिससे उनके परिवार की छवि को गहरा आघात पहुँचा। बाद में जब यह साफ़ हो गया कि वे एक भारतीय नागरिक थे और पाकिस्तानी आतंकवादी नहीं, तब चैनलों ने चुपचाप रिपोर्ट हटा दी — लेकिन तब तक काफ़ी देर हो चुकी थी।

इस गंभीर मानहानि को लेकर एडवोकेट शेख मोहम्मद सलीम ने अदालत में याचिका दायर की, जिस पर पुंछ के स्पेशल मोबाइल मजिस्ट्रेट शफीक़ अहमद ने संज्ञान लेते हुए जम्मू-कश्मीर पुलिस को आदेश दिया कि वह ज़ी न्यूज़ और न्यूज़18 के खिलाफ एफआईआर दर्ज करे।

इसके अलावा, क़ारी मोहम्मद इक़बाल के परिजनों ने दोनों चैनलों को कानूनी नोटिस भेजकर 10 करोड़ रुपये (प्रत्येक से 5.5 करोड़ रुपये) के हर्जाने की मांग की है। उनका कहना है कि इस झूठी रिपोर्टिंग ने न सिर्फ़ एक शहीद की शहादत को कलंकित किया, बल्कि उनके पूरे परिवार की सामाजिक प्रतिष्ठा को भी गहरी चोट पहुंचाई। यह मामला अब सिर्फ मीडिया की जवाबदेही का नहीं, बल्कि एक शहीद शिक्षक की गरिमा की रक्षा का सवाल बन चुका है।
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