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पीएम मोदी से सराहना मिलने पर, महिला नौसेना अधिकारियों में उत्साह

पीएम मोदी से सराहना मिलने पर, महिला नौसेना अधिकारियों में उत्साह

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने मासिक रेडियो कार्यक्रम मन की बात के 126वें एपिसोड में भारतीय नौसेना के साहसिक अभियान ‘नाविक सागर परिक्रमा’ का ज़िक्र करते हुए महिला नौसेना अधिकारियों की बहादुरी और समर्पण की सराहना की। पीएम मोदी ने अपने संबोधन में कहा कि भारतीय नौसेना की दो जांबाज महिला अधिकारियों – लेफ्टिनेंट कमांडर रूपा ए और लेफ्टिनेंट कमांडर डिलना के – ने इस अभियान को अंजाम देकर न केवल देश का नाम रोशन किया बल्कि यह भी साबित किया कि भारतीय महिला अधिकारी किसी भी चुनौतीपूर्ण मिशन को सफलता से पूरा करने की क्षमता रखती हैं।

नाविक सागर परिक्रमा अभियान भारतीय नौसेना का एक साहसिक और गौरवपूर्ण मिशन है, जिसमें अधिकारियों को समुद्र के कठिन और चुनौतीपूर्ण हालात का सामना करना पड़ता है। इस अभियान को पूरा करने के लिए न सिर्फ शारीरिक शक्ति और मानसिक मजबूती की ज़रूरत होती है, बल्कि अत्यधिक अनुशासन, धैर्य और आत्मविश्वास भी आवश्यक है। लेफ्टिनेंट कमांडर डिलना के और लेफ्टिनेंट कमांडर रूपा ए ने इन सभी गुणों का परिचय देते हुए इस मिशन को सफलता पूर्वक संपन्न किया।

पीएम मोदी की सराहना पर दोनों महिला अधिकारियों ने अपनी खुशी और गर्व व्यक्त किया। लेफ्टिनेंट कमांडर डिलना के ने कहा कि प्रधानमंत्री द्वारा उनके प्रयासों को मन की बात जैसे मंच पर याद किया जाना उनके लिए और उनकी साथी अधिकारी के लिए बेहद गौरवपूर्ण पल है। उन्होंने कहा कि यह सम्मान न केवल उनके व्यक्तिगत प्रयासों की पहचान है, बल्कि पूरी भारतीय नौसेना और देश की बेटियों के लिए प्रेरणादायक संदेश है। वहीं, लेफ्टिनेंट कमांडर रूपा ए ने भी प्रधानमंत्री के शब्दों को अपनी मेहनत का बड़ा पुरस्कार बताया।

पीएम मोदी ने अपने संबोधन में यह भी उल्लेख किया कि भारतीय महिलाएं अब हर क्षेत्र में अपनी पहचान बना रही हैं और नौसेना जैसे कठिन क्षेत्र में भी उनकी भूमिका लगातार मज़बूत हो रही है। उन्होंने कहा कि इन महिला अधिकारियों का साहस आने वाली पीढ़ियों की लड़कियों को प्रेरित करेगा कि वे भी बड़े सपने देखें और उन्हें पूरा करने के लिए मेहनत करें। इस पूरे प्रसंग ने नौसेना सहित पूरे देश में उत्साह और गर्व का माहौल बना दिया है। महिला अधिकारियों की इस उपलब्धि को भारतीय महिला शक्ति के नए प्रतीक के रूप में देखा जा रहा है। यह घटना एक बार फिर साबित करती है कि भारत की बेटियां जब ठान लें, तो समंदर की लहरें भी उनके जज़्बे को रोक नहीं सकतीं।

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